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थप्पड़, कार, फायरिंग, की आवाज...जानें फिल्मों में इस्तेमाल होने वाली साउंड को कैसे बनाते हैं फोली आर्टिस्ट?

 
फोली आर्टिस्ट

foley artist  artist: फिल्मों में बारिश की साउंड निकालने के लिए ये फोली आर्टिस्ट शक्कर या चावल के दानों का प्रयोग करते हैं। उन्हें छाते पर गिराते हैं, जिससे बारिश की साउंड डेवलप होती है। ये सब काम फोली आर्टिस्ट का होता है।

एक कमरे में तैयार होती है साउंड

फिल्मों के बैकग्राउंड साउंड को रियलिस्टिक बनाने के पीछे के आर्ट को फोली साउंड आर्ट कहते हैं। आप फिल्मों में बिजली गरजने, बंदूक चलने, बारिश होने और गाड़ियों के एक्सीडेंट की आवाज तो सुनते होंगे। यह साउंड एक छोटे से कबाड़ खाने की तरह दिखने वाले कमरे में तैयार होती है। जो इन साउंड्स को डेवलप करते हैं, उन्हें फोली आर्टिस्ट कहते हैं। इसके लिए ये आस-पास की वस्तुएं जैसे चावल, शक्कर, कागज, शीशे, सैंडल, जूते, छाते और लकड़ियों का यूज करते हैं।

क्रिएटिव होता है फोली आर्टिस्ट का काम

फोली आर्टिस्ट का काम बहुत क्रिएटिव होता है। फिल्मों में बारिश की साउंड निकालने के लिए ये फोली आर्टिस्ट शक्कर या चावल के दानों का प्रयोग करते हैं। उन्हें छाते पर गिराते हैं, जिससे बारिश की साउंड डेवलप होती है। फोली आर्टिस्ट काम कैसे करते हैं। साउंड निकालने के लिए ये किस घरेलू चीजों का प्रयोग करते हैं। रील टु रियल के नए एपिसोड में हमने इन्हीं पॉइंट्स पर बात की है।

फोली आर्टिस्ट

पहले फिल्मों में ओरिजिनल साउंड ही यूज होते थे

टेक्नोलॉजी बेहतर हुई तो डबिंग की शुरुआत हुई। शुरुआती समय में ओरिजिनल साउंड ही फिल्म में यूज कर लिए जाते थे। मतलब कि ऑन स्पॉट शूटिंग के दौरान निकली आवाज ही फिल्मों में यूज की जाती थी। उनकी अलग से डबिंग नहीं कराई जाती थी। उस वक्त तक ऐसी टेक्नोलॉजी नहीं थी कि साउंड को फिल्टर किया जा सके। धीरे-धीरे टेक्नोलॉजी बेहतर हुई तो डबिंग की शुरुआत हुई।

फोली आर्टिस्ट

डबिंग के बाद फोली साउंड की शुरुआत हुई। फिल्मों के बैकग्राउंड में होने वाली एक्टिविटी का भी अलग से साउंड निकाले जाने लगा। ऐसे में सीन्स पहले की तुलना में ओरिजिनल लगने लगे।

फोली आर्टिस्ट कौन होते हैं और इनका काम क्या है, यह समझिए

फिल्मों के बैकग्राउंड में यूज होने वाले सारी आवाजें जैसे शीशे का टूटना, दौड़ना, किसी को मुक्का मारना, घोड़े-हाथियों की आवाज, ये सारी एक खास तकनीक से निकाली जाती है। ये नेचुरल नहीं होती, बल्कि फोली साउंड की मदद से निकाली जाती हैं। इस पर काम करने वाले व्यक्ति को फोली आर्टिस्ट कहते हैं। फिल्मों में यूज होने वाली अधिकतर चीजें नकली होती हैं। मान लीजिए एक्शन सीक्वेंस के दौरान कोई एक्टर दीवार से टकराता है। अब जाहिर तौर पर वो दीवार असली तो होती नहीं है। सीक्वेंस असली लगे, इसके लिए दीवार से टकराने के दौरान का साउंड इफेक्ट निकाला जाता है। यह काम फोली आर्टिस्ट करता है।

फोली आर्टिस्ट

एक्टर जूते कैसे पहन रहा है, यह भी फोली आर्टिस्ट को ध्यान देना पड़ता है

फोली आर्टिस्ट का काम बहुत चैलेंजिंग और क्रिएटिव होता है। फोली आर्टिस्ट को यह तक ध्यान देना होता है कि एक्टर सीन में किस तरह का जूता पहन रहा है। अगर लेदर का जूता है, फिर उसकी अलग आवाज निकलेगी। इसके अलावा स्पोर्ट्स शूज, सैंडल और चप्पल है तो साउंड बदलती जाएगी। इसके अलावा जमीन की सतह कैसी है, इस पर ध्यान देना होता है। मतलब एक्टर फर्श, सड़क या पहाड़ी इलाके में चल रहा है तो इसका भी अलग साउंड निकालना होता है। इसके लिए फोली आर्टिस्ट के पास हर तरह के जूते और चप्पल उपलब्ध रहते हैं।

करनैल सिंह और सज्जन चौधरी ने बताया कि अगर थप्पड़ का साउंड निकालना है, तो एक जोड़ी लेडीज चप्पलों को एक दूसरे से खूब तेज टकराएं। इससे थप्पड़ की आवाज बिल्कुल ओरिजिनल की तरह निकलती है।

घुंघरुओ की आवाज निकालने के लिए फोली आर्टिस्ट स्टूडियो में असली घुंघरू पहनकर साउंड रिकॉर्ड करते हैं। इसके लिए वो एक्ट्रेस के पैरों की मूवमेंट को ध्यान से देखते भी हैं।

बारिश की आवाज निकालने के लिए चावल और शक्कर का यूज होता है

फिल्मों में बारिश की आवाज डालने के लिए चावल, शक्कर और एक छाते का यूज किया जाता है। एक फोली आर्टिस्ट दोनों हाथ में चावल या शक्कर को लेकर छाते पर गिराता है। इससे बिल्कुल वैसी ही आवाज निकलती है, जैसे बारिश हो रही हो।

फोली आर्टिस्ट

ओरिजिनल गन शॉट और कार के साउंड को पहले से रिकॉर्ड करके रखा जाता है

हम फिल्मों में अक्सर गोली चलने की आवाज सुनते हैं। ये साउंड कैसे निकाली जाती है? जवाब में राजेंद्र गुप्ता ने कहा, 'दरअसल इसके लिए पहले से एक लाइब्रेरी बनाकर रखी जाती है। इस लाइब्रेरी में दुनिया की हर किस्म की बंदूकों की आवाज पहले से रिकॉर्ड करके रखी जाती है। जाहिर तौर पर AK-47, पिस्टल और रिवॉल्वर, इन तीनों की फायरिंग करते वक्त अलग-अलग साउंड निकलती है।