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 बच्चों का रखें ध्यान:बढ़ रहे मंप्स के मामले,बड़ों में इंफर्टिलिटी, MMR वैक्सीन इकलौता इलाज

 
मंप्स
Health special: एक खबर के मुताबिक केरल में इसी साल जनवरी में 11 हजार से ज्यादा बच्चों के मुंह गुब्बारे जैसे फूल गए। दरअसल, इन बच्चों को मंप्स नाम की बीमारी ने अपनी चपेट में ले रखा था, जो पैरामाइक्सोवायरस (RNA) के कारण होती है।मंप्स

कोलकाता जयपुर में बढ़े मंप्स के मामले

अब कोलकाता और जयपुर में भी मंप्स के कई मामले दर्ज किए जा रहे हैं। उत्तर भारत में जहां-तहां इसके केसेज मिल रहे हैं। यानी पूरा देश इसकी चपेट में आ रहा है। इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय अलर्ट हो गया है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने भी इस बारे में गाइडलाइंस जारी की हैं।

कैसे फैलता है और इससे कैसे बच सकते हैं?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक साल 1999 से 2019 तक प्रतिवर्ष औसतन 5 लाख मंप्स के केसेज दर्ज होते रहे। इसके बाद इसकी वैक्सीन को लेकर जागरुकता बढ़ी तो धीरे-धीरे मामले घटने लगे। अब कई देशों में तो एक साल में एक भी मंप्स का मामला सामने नहीं आता है। वैक्सीन को लेकर जागरुकता के बाद मंप्स के मामले इतनी बड़ी संख्या में कहीं भी सामने नहीं आते हैं, फिर भारत में अचानक इतनी तेजी से केस कैसे बढ़े?मंप्स

क्यों बढ़ रहे मंप्स के मामले?

साल 2024 की शुरुआत से ही मंप्स के मामले जोर पकड़ रहे हैं। इसके पीछे छोटी सी अनदेखी है। छोटे बच्चों को MMR नाम की वैक्सीन सेट लगाया जाता है। इसमें MMR का मतलब मीजल्स, मंप्स और रुबेला। अगर वैक्सीन का यह सेट लगवा लिया जाए तो इन तीनों बीमारियों का खतरा नहीं रहता है। सरकार MR वैक्सीन सेट का कार्यक्रम चलाती है। इसमें मीजल्स और रुबेला की वैक्सीन तो होती है, मंप्स मिसिंग है। लोग बच्चों को सिर्फ MR वैक्सीन सेट लगवा रहे हैं, इसलिए यह फिर तेजी से फैल रहा है। प्राइवेट अस्पतालों में पूरा MMR वैक्सीन सेट लगवाया जा सकता है।

मंप्स के क्या लक्षण हैं?

मंप्स होने पर गाल गुब्बारे की तरह फूल जाते हैं। कुछ भी खाने या निगलने में मुश्किल होने लगती है। पुरुषों के तो अंडकोष में भी सूजन आ सकती है। इसके चलते मेनिन्जाइटिस और एन्सेफिलाइटिस की समस्याएं भी शुरू हो सकती हैं। मंप्स के चलते पुरुषों के अंडकोष में आई सूजन को समय पर ठीक नहीं किया गया तो यह आगे चलकर इंफर्टिलिटी की भी वजह बन सकता है।

कैसे फैलता है मंप्स?

दिल्ली के सीनियर फिजिशियन डॉ. बॉबी दीवान बताते हैं कि मंप्स एक तरह का RNA वायरस है, जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने से भी फैल सकता है।

कितना खतरनाक हो सकता है मंप्स?

आमतौर पर मंप्स कोई खास नुकसान नहीं पहुंचाता है। यह दो से तीन सप्ताह बाद ठीक हो जाता है। अगर एक बार किसी को मंप्स हो गया है तो फिर कभी इससे संक्रमित होने का जोखिम न के बराबर होता है। हालांकि, कई मामलों में देखने को मिला है कि मंप्स के चलते मेल्स और फीमेल्स दोनों की फर्टिलिटी प्रभावित हो सकती है। क्योंकि इसका असर पुरुषों और महिलाओं दोनों के प्रजनन अंग पर पड़ता है। पुरुषों के स्पर्म काउंट में भी कमी देखने को मिली है। अगर प्रेग्नेंसी के दैरान महिला को मंप्स हो जाए तो यह भ्रूण में पल रहे बच्चे के लिए कई बार बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। छोटे बच्चों के दिमाग और उनके किडनी, हार्ट जैसे ऑर्गन्स पर भी बुरा असर पड़ सकता है। उनके सुनने की क्षमता पर भी असर पड़ सकता है।

कैसे करें बचाव?

मंप्स से बचने का सबसे कारगर उपाय इसकी वैक्सीन लगवाना है। साफ-सफाई का ध्यान रखकर भी इससे बचा जा सकता है। छोटे बच्चों को MMR वैक्सीन का सेट लगवाएं। इसे दो खुराक में दिया जाता है, दोनों खुराक लगवाने चाहिए। अगर मंप्स के संक्रमण का डर है तो घर के बाहर मास्क पहनकर निकलें। भीड़भाड़ वाली जगह जाने से बचें। किसी से हाथ मिलाने या कोई सामान छूने, बाहर से लौटने के बाद साबुन से हाथ जरूर साफ करें। संक्रमित व्यक्ति से खाने के बर्तन साझा न करें। अगर जरूरत पड़े तो संक्रमित व्यक्ति को दो से तीन सप्ताह के लिए क्वारैंटाइन करें।

मंप्स हो गया तो कैसा हो खानपान?

मंप्स से पीड़ित होने पर डॉ बॉबी दीवान ज्यादा से ज्यादा लिक्विड्स लेने, गर्म नमक-पानी से गरारे करने की सलाह देते हैं। इस बारे में सबकुछ ग्राफिक्स से समझते हैं।