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फिल्म स्वातंत्र्य वीर सावरकर हुई रिलीज: सुभाष चंद्र बोस के पड़पोते को हुई आपत्ति ?

 
फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’

veer savarkar:फिल्म स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ 22 मार्च यानी आज रिलीज हो गई है। फिल्म में रणदीप हुड्डा राजनेता और क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर की भूमिका निभा रहे हैं। ये बतौर डायरेक्टर उनकी पहली फिल्म है। चुनावी माहौल के बीच रिलीज हो रही फिल्म को प्रोपेगैंडा मूवी कहा जा रहा है। फिल्म को लेकर कुछ विवाद भी सामने आ रहे हैं। ट्रेलर के एक सीन पर सुभाष चंद्र बोस के पड़पोते ने आपत्ति जताई है।

फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’

सावरकर और विवाद

स्वातंत्र्य वीर सावरकर से पहले भी कई फिल्मों पर विवाद हुए हैं और उन पर प्रोपेगैंडा मूवी होने के आरोप लगते रहे हैं। कुछ फिल्मों को विवादों से बचाने के लिए रिलीज ही नहीं किया गया जबकि कुछ लंबी लड़ाई के बाद सिनेमाघरों तक पहुंचीं। दिलचस्प बात ये है कि मौजूदा दौर में प्रोपेगैंडा मानी जाने वाली केवल दो फिल्में-द कश्मीर फाइल्स और द केरला स्टोरी ही बॉक्सऑफिस पर सफल रही हैं जिन्होंने कुल मिलाकर 645 करोड़ रु. कमाए थे।

फिल्म स्वतंत्र्य वीर सावरकर पर कंट्रोवर्सी

ट्रेलर देखने के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पड़पोते चंद्र कुमार बोस ने एक सीन पर आपत्ति जताई है। उन्होंने मेकर्स पर सुभाष चंद्र बोस की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया है। इस सीन में वीर सावरकर सुभाष चंद्र बोस से कहते हैं- 'जर्मनी और जापान के आधुनिक हथियारों के साथ अंग्रेजों पर हमला कीजिए।

चंद्र कुमार बोस ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘रणदीप हुड्डा- 'सावरकर' पर फिल्म बनाने के लिए आपकी सराहना करता हूं, लेकिन कृपया 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस' का नाम सावरकर के साथ जोड़ने से बचें। नेताजी एक धर्मनिरपेक्ष नेता और देशभक्त थे।'

फिल्म में भीमराव अंबेडकर की भूमिका निभाने वाले एक्टर के रंग पर भी सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। लोगों को इस बात पर आपत्ति है कि फिल्म में भीमराव अंबेडकर के कैरेक्टर की कास्टिंग अच्छी नहीं हुई है। वो एक्टर का रंग-रूप देखकर इस कास्टिंग को जातिगत एंगल दे रहे हैं।

 स्वातंत्र्य वीर सावरकर को क्यों कहा जा रहा प्रोपेगैंडा फिल्म?

कांग्रेस वीर सावरकर की स्वतंत्रता सेनानी वाली इमेज पर सवाल भी उठाती रही है। ऐसे में आपने कभी सोचा है कि कांग्रेस के किसी मेंबर को काले पानी की सजा क्यों नहीं हुई?’ जैसे डायलॉग के चलते फिल्म को एंटी कांग्रेस करार दिया जा रहा है।

फिल्म पर एंटी महात्मा गांधी सेंटीमेंट्स सेट करने के आरोप लग रहे हैं क्योंकि इसमें महात्मा गांधी बुरे नहीं थे, लेकिन अगर वो अपनी अहिंसावादी सोच पर अड़े नहीं रहते तो भारत 35 साल पहले ही आजाद हो जाता।जैसे डायलॉग हैं।