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 स्मार्टफोन के साइड इफेक्ट्स: मैरिड कपल के बीच बन रही डिजिटल डिवाइस दीवार, जानें समाधान

 
smart phone

Smart phone: स्मार्ट फोन के एक क्लिक से बेशक कई बार नामुमकिन काम भी मुमकिन हो जाते है। काम आसान हो गया है, लेकिन स्मार्टफोन का जरुरत से ज्यादा इस्तेमाल परेशानी का सबब भी बन चुका है। कोरोना खत्म होने के बाद साइबर मीडियाने इस बारे में एक रिसर्च की। जिसमें 88% भारतीय जोड़ों ने स्वीकार किया कि स्मार्टफोन की वजह से उनके रिश्ते में तनाव आ रहा है।

सेहत से लेकर रिश्तों के लिए हानिकारक स्मार्टफोन

सेहत से लेकर वेलबीइंग पर स्मार्टफोन के नकारात्मक असर की खूब बात की जाती है। इससे बचने के तमाम उपाय भी सुझाए जाते हैं। लेकिन रिश्ते में उभर आए इस कांटे को कैसे दूर किया जाए, इस बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसलिए आज रिलेशनशिप कॉलममें रिश्ते में स्मार्टफोन के असर और इससे बाहर निकलने के उपायों की बात करेंगे।

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दो पार्टनर्स के बीच डिजिटल डिवाइस की दीवार

शादीशुदा जोड़ों और साथ रहने वाले रोमांटिक पार्टनर्स की जिंदगी में स्मार्टफोन रोमांस किलर का काम कर रहा। रिलेशनशिप कोच डॉ. अंजलि इसके पीछे टेक्नोफेरेंस को वजह बताती हैं। जिसकी वजह से दो पार्टनर्स के बीच डिजिटल डिवाइस एक दीवार सी बन जाती है। जब दोनों पार्टनर्स डिवाइस पर हद से ज्यादा निर्भर हो जाएं तो उसके बीच होने वाला संवाद मीडिएट हो जाता है। यानी दोनों सीधे-सीधे कम्युनिकेट करने की जगह किसी डिवाइस को माध्यम बना लेते हैं। यह स्थिति लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप के लिए तो ठीक है।

टूटने लगे हैं रिश्ते

रिश्ते में जरूरत से ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल एक्ट्रा मैरिटल अफेयर की तरह नुकसान पहुंचाता है। अंतर सिर्फ इतना है कि इसमें किसी शख्स की जगह एक डिवाइस दो पार्टनर्स के बीच दीवार बनती है। ऐसी स्थिति में दूर बैठे लोगों को आपस में जोड़ने वाली डिवाइस रिश्ते को तोड़ने लगती है।

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क्वालिटी टाइम में फोन के इस्तेमाल से बचें

कोशिश करें कि जब पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंट कर रहे हों, उस वक्त फोन का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें। अगर फोन पर कोई शो या सीरीज देखना हो तो साथ देखना बेहतर विकल्प हो सकता है। साथ में वक्त बिताते हुए पार्टनर को यह एहसास होना चाहिए कि आपका पूरा वक्त और ध्यान उसके लिए है। बेड टाइम में भी स्मार्ट फोन को किनारे रखने की सलाह दी जाती है।

सोशल मीडिया से न करें अपने रिश्ते की तुलना

कई बार लोग सोशल मीडिया या फिल्मों की तर्ज पर अपने रिश्ते को परखने लगते हैं। सोशल मीडिया की झूठी चमक-दमक देखकर उनके मन में भी अपने रिश्ते को वैसा ही बनाने की हसरतें उठती हैं। इस स्थिति में पार्टनर्स एक-दूसरे से ऐसी उम्मीदें पालने लगते हैं, जिसे पूरा करना संभव नहीं होता है।

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सोशल मीडिया कनेक्शन से ज्यादा जरूरी फिजिकल टच

सोशल मीडिया पर एक-दूसरे से कनेक्ट होने, चैटिंग, फोन पर बात करने या वीडियो कॉलिंग से रिश्ते को फायदे संभव हैं लेकिन यह फिजिकल टच का विकल्प नहीं बन सकते। ऐसे में कोशिश यह होनी चाहिए कि पार्टनर्स फोन को मीडियम बनाने की जगह फेस-टू-फेस कॉन्टैक्ट में आएं।

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