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 ऋषि कपूर की चौथी डेथ एनिवर्सरी: 11 महीनों तक कैंसर से लड़े, बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट मिला पहला नेशनल अवार्ड

 
Rishi kapoor:

Rishi kapoor: 30 अप्रैल, 2020 को 67 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। 2018 में उन्हें कैंसर हुआ था। ऋषि का अमेरिका में 11 महीनों तक इलाज चला था जिसके बाद वे भारत लौट आए थे और यहीं उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली थी। अपने काम को लेकर उन्हें इतना जुनून था कि अमेरिका में इलाज के दौरान भी वे फिल्ममेकर्स से स्क्रिप्ट मंगाते और पढ़ते थे। पांच पीढ़ियों वाली कपूर फैमिली में ऋषि तीसरी पीढ़ी के प्रतिनिधि थे, लेकिन उनकी जिंदादिली ऐसी थी कि वे हर पीढ़ी के सदस्यों को जोड़े रखते थे। ऋषि खाने-पीने और मौज-मस्ती के बेहद शौकीन थे। उनसे जुड़े किस्से कपूर खानदान और फैंस की यादों में बसे हैं।

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'मेरा नाम जोकर' में काम किया तो स्कूल से निकाले गए

ऋषि कपूर का जन्म राज कपूर और कृष्णा राज के घर 4 सितंबर 1952 को हुआ था। राजकपूर के तीन बेटे रणधीर, ऋषि और राजीव कपूर और दो बेटियां रीमा जैन और ऋतु नंदा हैं। शम्मी कपूर और शशि कपूर ऋषि के अंकल थे। पिता, दादा और अंकल ने ऋषि कपूर के बॉलीवुड डेब्यू से पहले अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ते हुए बॉलीवुड में बड़ा मुकाम हासिल किया था। इसके बाद ऋषि ने पिता की फिल्म 'मेरा नाम जोकर' में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट एक्टिंग की दुनिया मे कदम रखा। इस फिल्म से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है। जब राज कपूर ने ऋषि कपूर को फिल्म 'मेरा नाम जोकर' में अपने बचपन का रोल दिया तो वे स्कूल में पढ़ा करते थे। फिल्म में काम करने के दौरान ऋषि स्कूल नहीं जा पाते थे और ये बात उनके टीचर्स को बिल्कुल पसंद नहीं थी।

आखिर एक दिन ऐसा आया जब स्कूलवालों ने ऋषि कपूर को स्कूल से निकाल दिया। जब ये बात राज कपूर को पता चली तो उन्होंने काफी मशक्कत के बाद स्कूल में फिर से ऋषि कपूर का एडमिशन करवाया।

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ऋषि कपूर को अवॉर्ड मिला तो रो पड़े थे पृथ्वीराज कपूर

अपनी पहली फिल्म 'मेरा नाम जोकर' के लिए ऋषि को बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का नेशनल अवॉर्ड मिला था। इससे जुड़ा एक किस्सा उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'खुल्लम खुल्ला' में बताते हुए कहा था, 'जब मैं मुंबई लौटा तो मेरे पिता ने उस अवॉर्ड के साथ मुझे अपने दादा जी पृथ्वीराज कपूर के पास भेजा। मेरे दादा जी ने वो मेडल अपने हाथ में लिया और उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने मेरे माथे को चूमा और कहा, 'राज ने मेरा कर्जा उतार दिया।'

अवॉर्ड खरीदने का ताउम्र रहा अफसोस

ऋषि ने बड़े होकर 1973 में आई फिल्म 'बॉबी' से बतौर हीरो बॉलीवुड डेब्यू किया था। इस फिल्म के लिए एक्टर को फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला था, लेकिन इसके पीछे की सच्चाई ऋषि कपूर ने खुद ऑटोबायोग्राफी खुल्लम खुल्ला में बताते हुए कहा था कि उन्होंने ये अवॉर्ड पैसे देकर खरीदा था। इस बात का उन्हें ताउम्र मलाल रहा था।

ऋषि कपूर ने कहा था कि ऐसा उन्होंने अपने PR के कहने पर किया था। वे केवल 22 साल के थे और उन्हें पैसे कहां और कैसे खर्च करने हैं, इसकी समझ नहीं थी इसलिए जब PR ने कहा कि तीस हजार रुपए में वो अवॉर्ड दिलवा सकता है तो उन्होंने दे दिए, लेकिन बाद में उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और समझ आया कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।

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जब लड़की बनकर जेंट्स वॉशरूम में घुस गए

ये बात साल 1975 की है। जब ऋषि फिल्म 'रफूचक्कर' की शूटिंग कर रहे थे। इस फिल्म में ऋषि कपूर एक लड़की का किरदार निभा रहे थे। इस फिल्म की शूटिंग कश्मीर में हो रही थी। एक दिन शूटिंग के दौरान एक्टर को वॉशरूम जाना था, लेकिन उस समय ऋषि लड़की के गेटअप में थे इसलिए वो जेंट्स वॉशरूम में जाने से शरमा रहे थे। जब उनसे रहा नहीं गया तो मजबूरी में वो जेंट्स वाशरूम में ही चले गए। ऋषि कपूर जब बाहर निकले तो वहां खड़े लोग उन्हें देखकर चौंक गए थे। जब लोगों को पता चला कि वो कोई और नहीं बल्कि ऋषि कपूर थे, तो किसी को यकीन नहीं हुआ।