रिसर्च में दावा, इन टिप्स को करेंगे फोलो तो रहेंगे हमेशा जवां, जानें तकनीक
अकेलेपन का सिर्फ मेंटल असर नहीं, बायोलॉजिकल भी
आमतौर पर अकेलेपन को अवसाद और उदासी से जोड़कर देखा जाता है। लोग समझते हैं कि अकेले रहने वाले शख्स पर मानसिक दबाव पड़ता है। यह बात काफी हद तक सही भी है। लेकिन बात सिर्फ इतनी नहीं है। मायो क्लिनिक की नई रिसर्च बताती है कि अकेलेपन का असर मेंटल के साथ-साथ बायोलॉजिकल भी हो सकता है। अकेलेपन की स्थिति में लोगों की बॉडी उनकी उम्र के मुकाबले कुछ ज्यादा ही तेजी से बूढ़ी हो सकती है। उदाहरण के लिए अगर किसी शख्स की उम्र 35 साल है और उसके खूब सारे दोस्त हैं तो संभव है कि वह चेहरे से किसी 30 साल वाले शख्स की तरह दिखे। उसकी सेहत भी उसकी उम्र के मुकाबले बेहतर होगी। वहीं अगर किसी शख्स की उम्र 30 साल हो और रिश्ते बिगड़े हुए हों, वह अकेलेपन का शिकार भी हो तो इस स्थिति में संभव है कि वह सेहत और चेहरे से 30 या 40 साल का लगे।
सोशल नेटवर्क इंडेक्स(SNI) बताएगा सेहत का हाल
रिसर्च में पाया गया कि किसी शख्स का सोशल नेटवर्क इंडेक्स(SNI) उसकी मेंटल और फिजिकल सेहत को सीधे रूप से प्रभावित करता है।
दरअसल, सोशल नेटवर्क इंडेक्स रिश्तों की संख्या मापने का एक पैमाना है। जो यह बताता है कि कोई शख्स सोसाइटी, परिवार और रिश्ते में कितनी अलग-अलग भूमिकाएं निभा रहा है।
उदाहरण के लिए अगर कोई शख्स एक पिता, भाई, दोस्त, टीचर और कलीग के रूप में 1-1 शख्स के साथ संबंध रखता है तो इस स्थिति में उसका सोशल नेटवर्क इंडेक्स(SNI) 5 होगा।
यहां इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि सोशल नेटवर्क इंडेक्स में सिर्फ उन्हीं रिश्तों को काउंट किया जा सकता है जिनके साथ महीने में कम से कम 2 बार नियमित इंट्रैक्टशन हो।
इस तरह के रिश्ते ही फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर पॉजिटिव असर डालते हैं।
अगर किसी की मेंटल और फिजिकल सेहत जाननी हो तो यह बात उसके सोशल नेटवर्क इंडेक्स(SNI) से भी पता किया जा सकता है। नई रिसर्च के मुताबिक जितना ज्यादा SNI होगा, लोग उतने ही सेहतमंद और जवां होंगे।
अकेलेपन में भर्ती होने और असमय मौत का खतरा ज्यादा
मायो क्लिनिक की ओर से लगभग 2.8 लाख लोगों पर स्टडी की गई। इस दौरान लोगों की सेहत संबंधी आंकड़ों के अलावा उनके रिश्तों की भी पड़ताल की गई। नतीजे में पाया गया कि जिन लोगों के ज्यादा दोस्त थे या उनका सामाजिक दायरा बड़ा था या फिर वे जॉइंट फैमिली में रहते थे, उनके बीमार पड़ने की दर भी कम थी। अगर वे बीमार पड़ते भी तो अस्पताल जाने की नौबत कम आती थी। दूसरी ओर, अकेलेपन के शिकार लोगों में बीमार पड़ने, अस्पताल में भर्ती होने और असमय मौत का खतरा भी अधिक पाया गया।
रिसर्च के दौरान यह भी पाया गया कि एक जैसी बीमारी से पीड़ित होने की स्थिति में ज्यादा रिश्ते वाला मरीज कम प्रभावित होता है। जबकि उसी बीमारी से पीड़ित शख्स की तबीयत तेजी से बिगड़ती है।
क्लोज फ्रेंडशिप से सेहत पर 5 सकारात्मक असर
हेल्थ जर्नल EPS की एक रिसर्च बताती है कि क्लोज फ्रेंडशिप और सामाजिक रिश्ते सेहत पर 35 अलग-अलग तरीके के पॉजिटिव असर डाल सकते हैं। इसकी वजह से मेंटल और फिजिकल हेल्थ में पॉजिटिल बदलाव हो सकते हैं।
EPS की रिसर्च में सोशल और पर्सनल रिश्ते से सेहत को होने वाले 35 फायदों में से कुछ प्रमुख फायदे-
• बेहतर मेंटल हेल्थ
• डिप्रेशन की आशंका 17% कम
• अस्पताल जाने और भर्ती होने की दर कम
• लंबी उम्र
• बॉडी उम्र के मुकाबले जवां दिखती है
• हेल्दी हैबिट्स में 9% की बढ़ोतरी
• स्ट्रोक की आशंका 17% कम