ध्यान दें: WHO की स्टडी में खुलासा, साइबर-बुलिंग का शिकार हो रहे बच्चे, जानें लक्षण ?
सोशल मीडिया पर औसतन 6 घंटे बिता रहे बच्चे
WHO की स्टडी के मुताबिक बच्चे हर रोज सोशल मीडिया पर औसतन 6 घंटे बिता रहे हैं। इसलिए बच्चों के साइबर बुलिंग का शिकार होने का खतरा बढ़ गया है। इस स्टडी में शामिल 11% स्टूडेंट्स का कहना था कि उन्हें महीने में कम-से-कम दो या तीन बार साइबर बुलिंग का सामना करना पड़ा।
क्या है साइबर बुलिंग ?
साइबर बुलिंग यानी सोशल मीडिया के जरिए किसी को परेशान करना, धमकाना, शर्मिंदा करना या निशाना बनाना। आसान भाषा में कहें तो साइबर बुलिंग ऑनलाइन माध्यमों जैसे सोशल मीडिया, चैटिंग एप्स और सोशल साइट्स के माध्यम से जानबूझकर किया गया वह व्यवहार है, जिससे किसी के सम्मान, अस्मिता को ठेस पहुंचती हो या उसे किसी तरह की सामाजिक या भावनात्मक क्षति होती हो।
बीमार हो सकता है बच्चा
मनोचिकित्सक डॉ. कृष्णा मिश्रा बताते हैं कि अगर कोई बच्चा लंबे समय तक लगातार साइबर बुलिंग का शिकार हो रहा है, तो वह तनाव और एंग्जाइटी का शिकार हो सकता है। कुछ मामलों में साइबर बुलिंग की वजह से बच्चों ने सुसाइड तक का प्रयास किया है। ‘द जर्नल ऑफ साइकोलॉजिकल रिसर्च ऑन साइबर बुलिंग’ की एक रिपोर्ट बताती है कि सुसाइड करने वाले 10 बच्चों में 5 बच्चे कभी-न-कभी साइबर बुलिंग के शिकार हुए हैं।