ध्यान दें.. होली पर बच्चों को रंगों से रखें सुरक्षित, जानें कैसे लगाएं और छुड़ाएं रंग ?
कैमिकल से हो सकती है परेशानी
लेकिन, क्या आप जानते हैं कि होली आपके बच्चे के लिए जोखिम भरी हो सकती है? होली पर कई बार ऐसे मामले देखने को मिले हैं, जहां कान में पानी चले जाने की वजह से बच्चों की सुनने की क्षमता खत्म हो गई। या फिर केमिकल वाले रंगों की वजह से आंखों या स्किन पर एलर्जी हो गई। होली पर हुए हादसों के ऐसे कई उदाहरण आपको देखने को मिल जाएंगे।
शिशुओं और छोटे बच्चों को लेकर माता-पिता को यह डर रहता है कि होली में कहीं उनके बच्चों को कुछ दिक्कत न हो जाए। इसलिए आज जरूरत की खबर में हम बात करेंगे कि होली पर बच्चों की देखभाल कैसे करें। साथ ही जानेंगे कि-
रंगों से बच्चे को कैसे सुरक्षित रखें
होली के त्योहार पर बच्चों को रंग लगाना लोगों को बहुत पसंद है। खासकर न्यू बॉर्न बेबी को। डॉ. अंशु शर्मा बताती हैं कि वैसे तो 2 साल से कम उम्र के बच्चों को रंग बिल्कुल भी नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि उनकी स्किन बहुत ज्यादा सॉफ्ट और सेंसिटिव होती है। फिर भी अगर आप उनके साथ होली खेलना चाहते हैं तो केमिकल वाले रंग या गुलाल का इस्तेमाल न करें।
जब बच्चे चलने-फिरने और दौड़ने लायक हो जाते हैं तो उनकी देखभाल भी उतनी बढ़ जाती है। होली में बच्चे बाहर खेलते-कूदते हैं। ऐसे में होली के रंग उनकी स्किन के साथ-साथ आंख, कान और नाक को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
बच्चों के बालों की बहुत अच्छे से नारियल तेल या सरसों के तेल से मसाज करनी चाहिए, जिससे रंगों की वजह से बालों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।
बच्चे के शरीर को अच्छे से मॉइश्चराइज करें। शरीर के लिए मॉइस्चराइजर स्किन प्रोटेक्शन का काम करेगा। जो रंगों के दुष्प्रभावों से बचाएगा। साथ ही रंगों को छुड़ाने में भी बहुत आसानी रहेगी।
होली के दिन बच्चे घंटों बाहर खेलते हैं। ऐसे में गर्मी और धूप की वजह से सनबर्न होने की आशंका रहती है। इसलिए बच्चे के बाहर जाने से पहले सनस्क्रीन जरूर लगाएं। जिससे तेज धूप की वजह से स्किन को नुकसान न पहुंचे।
बच्चे को होली खेलने से पहले फुल बाजू के कपड़े पहनाकर ही बाहर भेजें। जूते या चप्पल पहनाते समय ध्यान रखे कि वह स्लीपि (जल्दी फिसलने वाले) न हों। इसके अलावा रंग और धूप से आंखों को बचाने के लिए चश्मा भी पहना भी सकते हैं।
होली पर बच्चे अपने दोस्तों के साथ इधर-उधर खेलते-कूदते रहते हैं जिससे शरीर की एनर्जी लो होने लगती है और ड्रीहाइडेशन का खतरा रहता है। इसलिए बच्चा पर्याप्त पानी, जूस या मिल्क शेक पीता रहे। इसका भी ध्यान रखें।