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बेजुबानों से बढ़ता लगाव ह्यूमन पर्सनैलिटी को करता है प्रभावित: जानें कैसे बीमारियां होती हैं दूर?

 
pet dog
Pet: कई लोग अपने पालतू जानवर की घर के सदस्य की तरह प्यार और परवाह करते है। लेकिन क्या आपको इसका सही रीजन पता है। चेक यूनिवर्सिटी ऑफ लाइफ साइंसेज, प्राग की नई रिसर्च के मुताबिक लंबे समय तक साथ रहने पर डॉग ओनर भी अपने कुत्ते को उनकी गंध से पहचानने लगते हैं। समय के साथ उनकी सूंघने की शक्ति बढ़ती जाती है।

आज अलग-अलग रिसर्च के आधार पर जानेंगे कि पेट्स का ह्यूमन पर्सनैलिटी पर किस तरह असर पड़ता है और कैसे इन बेजुबान जानवरों की मौजूदगी हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत के साथ हमारे ओवरऑल वेलबीइंग पर सकारात्मक असर डालती है। चेक यूनिवर्सिटी ऑफ लाइफ साइंसेज ने एक रिसर्च की, जिसमें यह जानने की कोशिश की गई कि पेट्स का ओनर की पर्सनैलिटी पर क्या असर पड़ता है। इस रिसर्च में 3 साल से लेकर 72 साल तक के 53 डॉग ओनर शामिल हुए। पार्टिसिपेंट्स के सामने 6 जार रखे गए। इनमें से किसी एक जार में वह रूमाल था, जिसमें उनके पालतू कुत्ते की स्मेल थी। बाकी में दूसरे कुत्तों की स्मेल वाले रूमाल थे।

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पार्टिसिपेंट्स को पहचानना था कि इनमें से कौन से रूमाल में उनके पेट डॉग की स्मेल है। रिसर्चर्स ने पाया कि लगभग तीन चौथाई यानी 75% डॉग ओनर्स ने अपने कुत्ते को उसकी गंध से पहचान लिया। इतना ही नहीं, वे अपने कुत्ते की गंध और बाकी कुत्तों की गंध में भी अंतर कर पा रहे थे। चाहे डॉग हो या कैट या फिर कोई और पालतू पशु, ह्यूमन पर्सनैलिटी पर उसका असर सिर्फ सूंघने की क्षमता तक सीमित नहीं है। वे हमारे वेलबीइंग से लेकर सेहत को भी प्रभावित कर सकते हैं।

हर साल घटता 7 किलो वजन, बीमारी की आशंका 30% कम

बिना शर्त प्रेम के फलसफे को इंसानों की रूमानी कहानियों में खूब ग्लोरिफाई किया जाता है। लेकिन यह भी सच है कि इंसानी रिश्ते बिना मतलब के बनते भी नहीं हैं। निःस्वार्थ प्रेम किताबी पन्नों तक ही सीमित है।

ऐसी स्थिति में बिना शर्त प्रेम के लिए इंसान बेजुबानों की ओर ही देखते हैं। घर आते ही पैरों से लिपट जाने वाला फुर्तीला कुत्ता हो या रात को आपके साथ कंबल में दुबककर बैठने वाली शर्मीली बिल्ली, इनकी मौजूदगी अनकंडीशनल लव का एहसास कराती है।

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लेकिन यह प्यार सिर्फ एहसास तक ही सीमित नहीं। मेंटल हेल्थ के लिए काम करने वाली संस्था हेल्प गाइड की एक रिपोर्ट के मुताबिक पेट्स ओनर्स में बीमार पड़कर डॉक्टर के पास पहुंचने की आशंका 30% तक कम हो जाती है।

रिपोर्ट के मुताबिक पेट्स के साथ खेलने और एक्टिविटी से मेंटल हेल्थ के साथ-साथ फिजिकल हेल्थ भी प्रभावित होती है। एक स्टडी के मुताबिक कुत्ता पालने से शख्स औसतन 30 मिनट एक्स्ट्रा वॉक करने लगता है। आश्चर्य नहीं कि रिसर्च कहती है कि कुत्ता पालने वाले लोग दूसरों के मुकाबले 7 किलो ज्यादा फैट बर्न कर पाते हैं।