अगर आप भी माइक्रोवेव में खाना पकाते हैं तो जरुर पढ़ें ये खबर: समझें क्या है इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स?
पारंपरिक हीटिंग की तुलना में ज्यादा तेजी से पकता भोजन
एक अमेरिकी साइंटिस्ट पर्सी स्पेंसर मैग्नेटॉन नाम की एक डिवाइस को लेकर एक्सपेरिमेंट कर रहे थे। इसी दौरान इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स की वजह से उनकी जेब में रखी चॉकलेट पिघल गई। फिर पर्सी स्पेंसर ने अंडे और पॉपकॉर्न के साथ टेस्ट किया तो पाया कि अंडा फट गया और पॉपकॉर्न फूट गया। स्पेंसर को समझ में आया कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स के जरिए खाने को पारंपरिक हीटिंग की तुलना में ज्यादा तेजी से पकाया जा सकता है।
इसके बाद उन्होंने ‘माइक्रोवेव’ का आविष्कार किया। माइक्रोवेव ने हमारी फास्ट लाइफ को आसान तो बनाया है, लेकिन साथ ही यह बहस भी खड़ी कर दी है कि क्या माइक्रोवेव का इस्तेमाल सही और सुरक्षित है। फैमिली व्हाट्सएप ग्रुप से लेकर इंटरनेट पर कई बार इस तरह के वीडियो दिखते हैं, जो माइक्रोवेव के खतरनाक होने का दावा करते हैं।
माइक्रोवेव क्या है और यह खाने को कैसे गर्म करता है?
माइक्रोवेव में हीटिंग की प्रक्रिया बाहर से अंदर की तरफ होती है। यह खाने के मॉलीक्युल्स को वाइब्रेशन के जरिए हीट करता है। खास बात यह है कि इसमें खाना गर्म करने या पकाने के लिए जिस हीट का इस्तेमाल होता है, वह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स होती हैं। माइक्रोवेव का इस्तेमाल आमतौर पर पहले से पके हुए खाने को गर्म करने, सब्जियों को स्टीम करने और कुछ बेसिक प्राइमरी कुकिंग के काम के लिए होता है।
क्या माइक्रोवेव में खाना गर्म करने से न्यूट्रिएंट्स नष्ट हो जाते हैं?
किसी भी तरह से जब खाने को गर्म किया या पकाया जाता है तो उसके कुछ न्यूट्रिएंट्स तो कम होते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि माइक्रोवेव से कुछ एक्स्ट्रा न्यूट्रिएंट्स नष्ट होते हैं।
अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिपोर्ट बताती है कि माइक्रोवेव में खाना पकाने से अन्य तरीकों की तुलना में सबसे कम न्यूट्रिएंट्स नष्ट होते हैं क्योंकि इसमें खाना पकाने में बहुत कम समय लगता है। खाने को जितनी देर तक पकाया जाएगा, उसके उतने ही न्यूट्रिएंट्स कम होंगे।
हेल्थलाइन की एक रिपोर्ट भी बताती है कि 20 अलग-अलग सब्जियों पर की गई एक स्टडी के मुताबिक माइक्रोवेव में खाना पकाने से उसके एंटीऑक्सीडेंट्स सुरक्षित रहते हैं, जबकि प्रेशर कुकिंग और उबालने से सबसे ज्यादा नष्ट होते हैं।
क्या माइक्रोवेव में गर्म किए खाने से कैंसर हो सकता है?
अमेरिकन ऑन्कोलॉजी इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है। ऐसी कोई रिसर्च नहीं है, जो माइक्रोवेव के इस्तेमाल और कैंसर के विकास के बीच कोई सीधा संबंध साबित करती हो। इससे ऐसा कोई रेडिएशन नहीं निकलता है, जिसकी वजह से कैंसर जैसी बीमारी का खतरा पैदा हो सके।
माइक्रोवेव में गर्म किया खाना कब खतरनाक साबित हो सकता है?
जब हम खाने की चीजों को प्लास्टिक के कंटेनरों या किसी पॉलिथिन में रखकर माइक्रोवेव में गर्म करते हैं तो यह खतरनाक साबित हो सकता है। अमेरिका की नेब्रास्का-लिंकन यूनिवर्सिटी की पिछले साल की एक स्टडी बताती है कि माइक्रोवेव में प्लास्टिक कंटेनर में खाना गर्म करने पर अरबों नैनोप्लास्टिक पार्टिकल्स और लाखों माइक्रोप्लास्टिक पार्टिकल्स निकल सकते हैं।
एक प्लास्टिक डिब्बे के 1 स्क्वायर सेंटीमीटर एरिया में 2 अरब से ज्यादा नैनोप्लास्टिक पार्टिकल्स और 40 लाख से ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक पार्टिकल्स निकल सकते हैं। ये प्लास्टिक कंटेनर किडनी के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। वहीं घटिया क्वालिटी प्लास्टिक कंटेनर में BPA (बिस्फेनॉल-ए) होता है। ये BPA माइक्रोवेव के खाने में मिक्स हो जाता है। इससे कैंसर होने का खतरा हो सकता है।
इसके अलावा थैलेट्स सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिसाइजर में से एक है, जिसे प्लास्टिक को अधिक लचीला बनाने के लिए जोड़ा जाता है। ये फूड कंटेनर, प्लास्टिक रैप और पानी की बोतलों में पाया जाता है। ये ब्लड प्रेशर और इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ा सकता है, जिससे डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
कुछ प्लास्टिक को माइक्रोवेव के लिए डिजाइन नहीं किया जाता है क्योंकि इसके अंदर इसे नरम और लचीला बनाने वाले पॉलिमर होते हैं, जो कम टेंपरेचर पर पिघलते हैं।
कुल मिलाकर अगर किसी प्लास्टिक कंटेनर पर माइक्रोवेव सेफ या माइक्रोवेव फ्रेंडली का लेबल लगा है, तो भी माइक्रोवेव में उसका इस्तेमाल न करें। किसी भी तरह के प्लास्टिक का इस्तेमाल सेफ नहीं है।
माइक्रोवेव में खाना गर्म करते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
माइक्रोवेव खाने को जल्दी गर्म करने का एक बेहद आसान तरीका जरूर है, लेकिन अगर सही तरीके से इसका इस्तेमाल न किया जाए तो ये खतरनाक हो सकता है।