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सर्दियों में आर्युवेदिक रामबाण है बथुआ का सेवन,जानिए क्या - क्या है फायदे 

 
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Yuva Haryana : सर्दीयों के मौसम में बथुआ को सिर्फ सब्जी के रूप में नहीं, बल्कि एक आर्युवेदिक औषधि के रूप में भी खाना चाहिए। बथुआ न केवल हरा साग होता है, बल्कि इसमें ढेरों आर्युवेदिक गुण होते हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लाभ के लिए जाने जाते हैं। बच्चों के भोजन में बथुआ शामिल करने से बीमारियों से निजात मिल सकती है, बिना किसी दवा के।

आयुर्वेदिक गुणों का भंडार
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद (AIIA) के ड्रव्यगुण विभाग के अनुसार, बथुआ बच्चों की कई बीमारियों को प्राकृतिक रूप से ठीक कर सकता है, जिसके लिए बच्चों को दवा की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसकी खास बात यह है कि यह हल्का है और शारीरिक और मानसिक शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है।

आयरन और फाइबर का अच्छा स्रोत
बथुआ में आयरन और फाइबर का अच्छा स्रोत होता है। इसमें कई ऐसे माइक्रो न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं जो मन और तन दोनों को फायदा पहुंचाते हैं। इससे पाचन और पाचनशक्ति में भी सुधार होता है।

विभिन्न रूपों में सेवन:**
- बथुआ का हरा साग बना सकते हैं।
- बथुआ की बेसन वाली कढ़ी बना सकते हैं।
- बथुआ को कच्चा काटकर, आटे में गूंथकर रोटियां बना सकते हैं और बथुआ का रायता बना सकते हैं।
- बथुआ को आलू के साथ मिलाकर या खाली आटे में स्टफिंग करके परांठा या रोटी बनाकर बच्चों को खिला सकते हैं।
- बथुआ का जूस बनाकर पी सकते हैं।

बथुआ के सेवन से आरोग्यदायक लाभ
- बथुआ अर्श या बवासीर की परेशानी में राहत देता है।
- यह बच्चों को बीमारियों से मुक्त करने में मदद कर सकता है।
- इसका सेवन पाचन शक्ति को बढ़ाता है और रक्त पित्त को कम करने में मदद कर सकता है।
- विवांध (मलठीक स्थिति) में भी बथुआ लाभकारी हो सकता है।
- बच्चों के पेट में कीड़ों के खिलाए जाने से उन्हें राहत मिल सकती है।

बथुआ प्राकृतिक कृमि नाशक होता है और बच्चों को पेट में कीड़े होने की समस्या में उपयुक्त है। उन्होंने बताया कि बच्चों को पेट में कीड़े होने पर बुढ़ापे में शारीरिक और मानसिक समस्याएं हो सकती हैं, और इससे उनकी शारीरिक विकास में भी प्रभाव हो सकता है।