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क्या आप भी सेलिब्रेशन के नाम पर खा रहे हैं आर्टिफिशियल स्वीटनर्स? बढ़ाएं जागरुकता, रहें सुरक्षित

 
artificial sweeteners:

artificial sweeteners: पिछले महीने पंजाब के पटियाला में एक 10 साल की लड़की की मौत की वजह केक बताई गई थी। मानवी के बर्थडे पर केक काटा गया, सबने खाया और खुशियां मनाईं, लेकिन तभी अचानक मानवी का मुंह सूखने लगा। घर वाले अस्पताल लेकर गए, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। इसे लेकर फूड डिलीवरी कंपनी और बेकरी वाले घेरे में आए। सवाल उठा कि केक में कुछ जहरीला पदार्थ था। अब इस केस में नया खुलासा हुआ है।

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केक में सैकरीन की मात्रा बहुत ज्यादा थी

जांच में पता चला है कि जिस केक को खाने से बच्ची की मौत हुई, उसमें सिंथेटिक स्वीटनर का अधिक मात्रा में इस्तेमाल हुआ था। आमतौर पर केक बनाने के लिए सैकरीन जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर्स इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन इस केक में सैकरीन की मात्रा बहुत ज्यादा थी।

इसलिए केक को खाकर घर के सभी सदस्यों का ब्लड शुगर लेवल तो बिगड़ा, लेकिन उनकी मौत नहीं हुई। बच्ची ने चूंकि केक ज्यादा खाया था तो उसका ब्लड शुगर अचानक बहुत ज्यादा स्पाइक कर गया और उसकी जान चली गई।

कहने की जरूरत नहीं कि ब्लड शुगर अगर ज्यादा बढ़ जाए तो किडनी फेल होने से लेकर बॉडी के ऑगर्न डैमेज होने और आंखों की रौशनी जाने तक कुछ भी हो सकता है। यहां तक कि जान भी जा सकती है।

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कैसे काम करते हैं आर्टिफिशियल स्वीटनर्स?

आर्टिफिशियल स्वीटनर्स हमारे टेस्ट बड्स को चीनी की तरह मीठे स्वाद का अहसास कराते हैं, जबकि ये चीनी से बहुत अलग होते हैं। चीनी के विपरीत आर्टिफिशियल शुगर में 0% कैलोरी होती है। दावा किया जाता है कि इनसे ब्लड शुगर लेवल में कोई फर्क नहीं पड़ता है और ये स्वास्थ्य लिए सेफ हैं। इसलिए इन्हें शुगर के विकल्प के रूप में धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। यानी जो लोग डायबिटीज या किसी अन्य वजह से चीनी नहीं खा सकते हैं, वह भी आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के जरिए मीठे का स्वाद ले सकते हैं। हालांकि, दुनिया के तमाम बड़े डॉक्टर्स इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के एंडोक्रोनॉलजी विभाग में प्रोफेसर डॉ. रॉबर्ट लस्टिग ने अपनी किताब 'मेटाबॉलिकल' में इसे स्वस्थ्य के लिए असुरक्षित बताया है।

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आर्टिफिशियल स्वीटनर्स से बढ़ जाती है भूख

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक आर्टिफिशियल स्वीटनर्स से भूख बढ़ जाती है। असल में इन्हें खाने से तृप्ति का अहसास कराने वाला हॉर्मोन लेप्टिन प्रभावित होता है। जिससे अधिक मीठा खाने और ज्यादा कैलोरीज कंज्यूम करने की इच्छा बढ़ जाती है। इसलिए ज्यादा भूख लगती है।

बढ़ता है वजन और मोटापा

आर्टिफिशियल स्वीटनर्स को लोग वजन कम करने के लिए चीनी के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करते हैं, जबकि ये इसके ठीक विपरीत परिणाम दे रहे हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक आर्टिफिशियल स्वीटनर्स हमारे बढ़ते वजन और मोटापे के लिए जिम्मेदार हैं।

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डायबिटीज का खतरा

आमतौर पर राय बनी हुई है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर्स से डायबिटीज का कोई खतरा नहीं है, जबकि नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक डाइट सोडा पीने से डायबिटीज का खतरा 123% तक बढ़ जाता है। इसके अलावा भी कई स्टडीज इस बात को मजबूती देती हैं।

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बढ़ता है इंसुलिन लेवल

आर्टिफिशियल शुगर से ब्लड शुगर लेवल नहीं बढ़ता है, लेकिन ये इंसुलिन का लेवल बढ़ा देते हैं। आप यह सोच सकते हैं कि जब आर्टिफशियल स्वीटनर से हमारे ब्लड शुगर पर कोई फर्क नहीं पड़ता है तो इंसुलिन कैसे स्पाइक हो सकता है। इसे कैनेडेनियन डॉक्टर जैसन फंग अपनी किताब 'द डायबिटीज कोड: प्रिवेंट एंड रिवर्स टाइप 2 डायबिटीज नैचुरली' में कुछ इस तरह एक्सप्लेन करते हैं-

गट माइक्रोब्स को पहुंचता है नुकसान

डॉ. मार्क हाइमन कहते हैं कि इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद हैं कि आर्टिफिशियल स्वीटनर हमारे हेल्दी गट माइक्रोबायोम्स को नष्ट कर गट बैलेंस को बिगाड़ने का काम करता है।

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असल में हमारे गट बैक्टीरिया असली चीनी की तुलना में आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के साथ अलग तरह से रिएक्ट करते हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक जब सैकरीन और सुक्रालोज जैसे स्वीटनर्स हमारे माइक्रोबायोम्स के संपर्क में आते हैं तो डिस्बिओसिस का खतरा बढ़ जाता है। इसका मतलब है कि गुड गट बैक्टीरिया की तुलना में हानिकारक गट बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है।

डिस्बिओसिस के ये लक्षण दिख सकते हैं

पेट में सूजन

इंटेस्टाइन वॉल का पतला होना

माइग्रेन

ऑटोइम्यून कंडीशन

मूड स्विंग

चिड़चिड़ापन

एंग्जायटी

बढ़ता है हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक जो लोग आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उन्हें अधेड़ उम्र में हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता हैं।

मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक आर्टिफिशियल स्वीटनर्स खाने से मेटाबॉलिक सिंड्रोम का जोखिम बढ़ जाता है। इस हेल्थ कंडीशन में हार्ट डिजीज, डायबिटीज और स्ट्रोक जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।