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उपभोक्ता हो जागरुक!: सामान खरीदने से पहले गारंटी और वारंटी में जानें फर्क? मिलेगा फायदा

 
garranti warranti
Garranti: आपने भी अक्सर गारंटी या वारंटी जैसे शब्दों को खूब सुना होगा। लेकिन क्या आपको इसके मतलब का पता है। ये दोनों शब्द सुनने में एक जैसे जरूर लगते हैं, लेकिन इनमें बड़ा फर्क है। इन दो शब्दों के फेर में बड़ी मार्केटिंग स्ट्रेटजी छिपी हुई है। छोटी दुकानों से लेकर बड़ी कंपनियां तक इसी मार्केटिंग स्ट्रेटजी के सहारे चल रही हैं। असल में गारंटी या वारंटी किसी कंपनी या दुकानदार के द्वारा प्रोडक्ट की क्वालिटी और परफॉर्मेंस को लेकर किए गए वे वादे होते हैं, जिसके आधार पर यह तय होता है कि प्रोडक्ट के खराब हो जाने पर उसे बदला जाएगा या फिर सिर्फ रिपेयर करके ग्राहक को दिया जाएगा।

गारंटी क्या है?

कोई दुकानदार या कंपनी किसी प्रोडक्ट को बेचते समय उस प्रोडक्ट की क्वालिटी और परफॉर्मेंस को लेकर एक गारंटी देती है। गारंटी का अर्थ है कि एक तयशुदा समय के भीतर वो प्रोडक्ट खराब नहीं होगा। जैसेकि अगर प्रोडक्ट पर एक साल की गारंटी है और उस गारंटी पीरियड के बीच प्रोडक्ट खराब हो जाता है तो ऐसे में दुकानदार या कंपनी उस खराब प्रोडक्ट को बदलकर ग्राहक को नया प्रोडक्ट देती है। प्रोडक्ट रीप्लेस न होने की स्थिति में ग्राहक को उसका पैसा वापस किया जाता है। प्रोडक्ट बेचते हुए कंपनी या दुकानदार द्वारा ग्राहक को एक गारंटी कार्ड बनाकर दिया जाता है।

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गारंटी कार्ड में किस तरह की जानकारी होनी चाहिए?

विक्रेता द्वारा ग्राहक को दिए गए गारंटी कार्ड में कुछ जरूरी जानकारी होनी चाहिए। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं- अगर आपके गारंटी कार्ड पर ये उपरोक्त जानकारियां नहीं लिखी हुई हैं तो विक्रेता उस गारंटी को देने से मना कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि जब भी कोई सामान खरीदें तो गारंटी कार्ड में ये सभी जानकारियां जरूर जांच लें।

वारंटी क्या होती है?

वारंटी में अगर कोई प्रोडक्ट निर्धारित समय सीमा के बीच खराब हो जाता है तो दुकानदार या कंपनी उसे ठीक कराकर देगी। इसमें गारंटी की तरह बदलकर नया प्रोडक्ट नहीं दिया जाता है। अलग-अलग प्रोडक्ट की वारंटी की शर्तें अलग होती हैं। कई बार वारंटी वाले प्रोडक्ट के टूटने या खराब होने पर उसकी मरम्मत के लिए कुछ शुल्क ग्राहक से भी लिया जा सकता है।

गारंटी और वारंटी के बीच क्या अंतर होता है?

ग्राहकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए गारंटी और वारंटी की जरूरत होती है। गारंटी या वारंटी की वजह से विक्रेता (कंपनी या दुकानदार) को प्रोडक्ट के कुछ मानक तय करने होते हैं। बोलने में भले ही गारंटी और वारंटी दोनों शब्द एक दूसरे से मिलते-जुलते लगें, लेकिन दोनों में बहुत बड़ा अंतर है।

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अगर कोई विक्रेता गारंटी या वारंटी के नियम को फॉलो नहीं करे तो क्या करें?

कंपनी या दुकानदार को वारंटी या गारंटी की शर्तों के अनुसार उसे सही करना होगा या प्रोडक्ट को रीप्लेस करना होगा। अगर कोई विक्रेता ऐसा नहीं करता है तो ग्राहक कंज्यूमर कोर्ट में इसकी ऑनलाइन या ऑफलाइन शिकायत कर सकता है।

शिकायत करने के लिए किन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होगी?

विक्रेता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए अपने आधार कार्ड की कॉपी, प्रोडक्ट का बिल, गारंटी या वारंटी कार्ड की जरूरत होती है, जिसकी मदद से वकील लिखित में कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत पेश कर सकता है।