होली के अगले दिन आज से शुरू हिंदू कैलेंडर का पहला महीना, लेकिन 9 अप्रैल से शुरू होगा हिंदू नववर्ष
ब्रह्म और नारद पुराण:
इन 15 दिनों में चंद्रमा लगातार घटता है और अंधेरा बढ़ता है, लेकिन सनातन धर्म तमसो मां ज्योतिर्गमय यानी अंधेरे से उजाले की तरफ जाने की बात करता है, इसलिए चैत्र महीने की अमावस्या के अगले दिन पहली तिथि को जब चंद्रमा बढ़ने लगता है तभी नववर्ष मनाते हैं।
चैत्र शुक्ल पक्ष की पहली तिथि को ब्रह्मा जी ने की सृष्टि की रचना। सनातन काल गणना में चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से ही नववर्ष शुरू होता है, क्योंकि ब्रह्म और नारद पुराण के मुताबिक इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी।
सृष्टि की रचना के करीब दो अरब साल बाद सम्राट विक्रमादित्य ने नया संवत् चलाया। ये उसी दिन से शुरू होता है जिस दिन सृष्टि बनी थी।
क्या कहते है पुराण ?
ब्रह्माण्ड पुराण में इस तिथि को नए संवत्सर की पूजा करने का विधान बताया गया है। तिथि और पर्व तय करने वाले ग्रंथ निर्णय सिन्धु, हेमाद्रि और धर्म सिन्धु में इस तिथि को पुण्यदायी कहा गया है। इस तिथि को युगादि कहा जाता है। यानी इस दिन से सतयुग की शुरुआत हुई थी।
अमावस्या खत्म होते ही नए महीने की शुरुआत
इस विक्रम संवत में दो तरह से महीनों की गिनती होती है। महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में अमावस्या खत्म होने के बाद नए महीने की शुरुआत होती है। वहीं, उत्तर भारत सहित ज्यादातर जगहों पर पूर्णिमा के अगले दिन से नया महीना शुरू होता है। इसी कारण होली के अगले दिन नया महीना तो लग जाता है लेकिन हिंदू नववर्ष महीने के 15 दिन बीतने के बाद शुरू होता है।