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 सोनीपत: 3 साल के लिए ब्लैक लिस्ट में मेडेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड कंपनी, जानें पूरा मामला

 
Medens pharmaceutical:
Medens pharmaceutical: अफ्रीका के गांबिया में बेशक मेडेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड कंपनी को क्लीन चिट मिल गई हो लेकिन हरियाणा में इस कंपनी पर पूरा एक्शन लिया गया। क्योंकि यहां सवाल मासूम बच्चों की जान का था। दरअसर सोनीपत की मेडेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। इसके साथ ही कंपनी को सरकारी टेंडरों में शामिल होने पर भी रोक लगा दी गई है। कंपनी को जारी किए गए सभी दर अनुबंध भी रद्द कर दिए गए हैं। मेडेन फार्मा की एल्बेंडाजोल गोलियों के 19 बैच क्वालिटी टेस्ट में फेल होने के बाद यह कार्रवाई की गई है।Medens pharmaceutical:

CM की मंजूरी मिलने के बाद लिया गया एक्शन

सीएम नायब सैनी की मंजूरी मिलने के बाद मेडेन फार्मा के मामले में कार्रवाई करने का फैसला किया गया है। हरियाणा मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HMSCL) ने कंपनी के 3 अलग-अलग उत्पादों के गुणवत्ता परीक्षण में विफल होने के बाद यह कार्रवाई की है। HMSCL सरकारी अस्पतालों और औषधालयों के लिए दवाएं खरीदती है।

इन गोलियों को किया ब्लैक लिस्ट

HMSCL द्वारा सूचीबद्ध लैब्स ने एल्बेंडाजोल टैबलेट (400 मिलीग्राम) के 21 बैचों को मानक गुणवत्ता का घोषित नहीं किया। परीक्षण में इबुप्रोफेन टैबलेट (IP 400 मिलीग्राम) के तीन बैच भी मानक गुणवत्ता के साबित नहीं हुए। एजिथ्रोमाइसिन सस्पेंशन (40 मिलीग्राम/एमएल) के 16 बैच परीक्षण में विफल रहे और उन्हें मानक गुणवत्ता का घोषित नहीं किया गया। इन उत्पादों को 2022 और 2023 में खरीद आदेशों के विरुद्ध आपूर्ति की गई थी।

गांबिया केस के बाद चर्चा में आई थी कंपनी

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मेडेन फार्मास्यूटिकल्स गांबिया केस से चर्चा में आई थी। इस कंपनी ने गांबिया को कफ सिरप की आपूर्ति की थी, जिसके कारण 66 बच्चों की मौत हो गई थी। गांबिया सरकार द्वारा नमूना परीक्षण में अत्यधिक विषाक्त पदार्थ पाए गए, जिसके कारण किडनी खराब हो गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कफ सिरप को लेकर भी अलर्ट जारी किया था।

पहले भी फेल हो चुके सैंपल

आदेश में कहा गया है कि कंपनी पिछले वर्षों में गुणवत्ता नियंत्रण में सिलसिलेवार अपराधी रही है। जांच के बाद, राज्य औषधि नियंत्रक, हरियाणा ने 11 अक्टूबर, 2022 के एक आदेश द्वारा अपनी सभी विनिर्माण गतिविधियों को रोक दिया था। केरल सरकार ने 5 दवा फॉर्मूलेशन पाए थे, जबकि हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक दवा फॉर्मूलेशन को मानक गुणवत्ता का नहीं पाया था।

बैंक गारंटी भी जब्त की गई

सोनीपत की एक अदालत ने घटिया रेनिटिडीन हाइड्रोक्लोराइड टैबलेट मामले में फर्म के दो निदेशकों को दोषी ठहराया था। HMSCL की नीति के अनुसार, यदि 3 से अधिक उत्पाद गुणवत्ता परीक्षण में विफल हो जाते हैं, तो सभी निविदाओं के लिए एक फर्म को 3 साल के लिए ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है, लेकिन यहां 3 आइटम 'मानक गुणवत्ता के नहीं' पाए गए। फर्म की परफॉर्मेंस बैंक गारंटी भी जब्त कर ली गई है।