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Rambilas Sharma: बुरे दौर में बीजेपी का झंडा फहराने वाले रामबिलास शर्मा इस बार.. बेटिकट

बुरे दौर में भी भाजपा को संभाला, फिर भी टिकट के लिए तरसे रामबिलास
 
rambilas sharma
 

Rambilas Sharma: रामबिलास शर्मा का टिकट भाजपा ने काट दिया है. भाजपा से टिकट कटने का आभास उन्हें शायद पहले ही हो हो गया था इसी लिए उन्होंने अपना नामांकन आज कर दिया था. नामांकन की खबर जैसे हाईकमान के पास पहुंची शायद यही वजह रही हो  के उनका टिकट काट कर कंवरपाल यादव को दे दिया गया है. 

आखिर क्यों हो रही है इतनी चर्चा आखिर है कौन रामविलास शर्मा. 
आज जब राव इंद्रजीत रामविलास शर्मा के घर पर पहुंचे तब उन्होंने एक बात कही थी कि एक समय होता था जब हरियाणा के अंदर भाजपा का झंडा लहराने वाला केवल एक नाम वो रामबिलास शर्मा होता था. ये बात कई मायनो में सच भी है. 

जब सरकार बनी तब वे सीएम के सबसे प्रबल दावेदार भी माने जाते थे लेकिन भाजपा ने तब भी उनकी जगह पैराशूट उम्मीदवार मनोहर लाल को सीएम बनाया था. तब इनको शिक्षा मंत्री, परिवहन, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग जैसे मंत्रालय से संतोष करना पड़ा था. 

चलिए आईए बताते है आखिर है कौन रामविलास शर्मा

महेंद्रगढ़ विधानसभा सीट राजनीतिक रूप से विशेष महत्व वाली है , क्योंकि इस सीट से चुनाव लड़ने वाले रामबिलास शर्मा अहीरवाल में भारतीय जनता पार्टी की उपस्थिति लगातार बनाए रखने वाले इकलौते नेता हैं।
वहीं कांग्रेस के राव दान सिंह ने उन्हें जबरदस्त चुनौती भी दी है। आलम यह है कि पिछले 32 सालों से यही दोनों महेंद्रगढ़ से विधायक बनते आ रहे हैं। इस अहीर बहुल क्षेत्र में अहीर विधायक ही ज्यादा बने हैं और उनके जीतने के सिलसिले को किसी ने रोका है तो वो हैं रामबिलास शर्मा ।

ram bilas

इस सीट पर भाजपा नेता रामबिलास शर्मा 1977 से चुनाव लड़ते आ रहे हैं। मौजूदा समय में राजनीति कर रहे हरियाणा के भाजपा नेताओं में और कोई इतने लम्बे समय से चुनावी राजनीति में नहीं है। रामबिलास शर्मा ने 1977 का चुनाव जनता पार्टी की टिकट पर और उसके बाद सभी चुनाव भाजपा की टिकट पर लड़े। 
 

शर्मा ने 1982 से 1996 तक लगातार चार चुनाव जीते हालांकि इसके बाद के लगातार तीन चुनाव वे कांग्रेस के राव दान सिंह से हारे भी। 2014 में रामबिलास ने एक बार फिर वापसी की और 5वीं बार हरियाणा विधानसभा के सदस्य बने। 
एक ही सीट से 9वां चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड बनाने वाले रामबिलास शर्मा ने 2014 में 59.89 प्रतिशत वोट लिए जबकि 2009 में उन्हें 32.90 प्रतिशत वोट मिले थे। इसके अलावा शर्मा ने साल 2000 में महेंद्रगढ़ के साथ-साथ फरीदाबाद जिले की बल्लभगढ़ सीट से भी चुनाव लड़ा था और 30 प्रतिशत वोट लिए थे। 

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दो सीटों पर एक साथ लड़ने की वजह से उसी साल उनकी जीत का सिलसिला टूटा था। चुनावी राजनीति के माहिर रामबिलास शर्मा के बारे में एक खास बात यह है कि 10 चुनावों में से कभी भी वे तीसरे स्थान पर नहीं खिसके और हमेशा पहला या दूसरा स्थान ही हासिल किया। 
 

एबीवीपी के महासचिव से छात्र राजनीति की शुरूआत करने के बाद शर्मा भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य प्रधान भी रहे। काफी समय तक (1990-93, 2013-14) उन्होंने हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष का पद भी संभाला। शर्मा ने कुछ समय तक आरएसएस के अंग्रेजी अखबार 'मदरलैंड' में भी काम किया। वे झज्जर जिले में संघ के प्रचारक के तौर पर भी तैनात किए गए। 
 

शर्मा सबसे पहले 1987 में बनी देवीलाल सरकार में मंत्री बने थे। इसके बाद रामबिलास शर्मा 1996 में आई बंसीलाल सरकार और उसके बाद बनी चौटाला सरकार में शिक्षा मंत्री रहे। हविपा के साथ गठबंधन सरकार चलाते वक्त रामबिलास शर्मा भाजपा विधायक दल के नेता थे और उनके नेतत्व में ही भाजपा ने बंसीलाल की सरकार का साथ छोड़कर 1999 में इनेलो की सरकार बनवाई थी। 
 

2014 के लोकसभा चुनाव में जब भाजपा के 8 में से 7 उम्मीदवार जीते तब शर्मा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। राज्य में भारतीय जनता पार्टी की पहली बार सरकार बनाने वाले 2014 के विधानसभा चुनाव के वक्त भी रामबिलास शर्मा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे।
 

2019 में रामविलास ने इसी को आगे बढ़ाते हुए दूसरा स्थान हासिल किया, हालांकि वे ये चुनाव हार गए थे. लेकिन दूसरे स्तान पर रहे थे
2024 में एक बार फिर से रामविलास मैदान में है लेकिन भाजपा ने उनका टिकट काट दिया है.