हरियाणा की राजनीति के नए ट्वीस्ट, 4 विधायकों को लोकसभा का टिकट, जानें नए बदलाव
सोनीपत सीट से राई के विधायक मोहन लाल बड़ौली को टिकट दी गई है। बड़ौली चुनाव में जीत जाते हैं तो राई सीट खाली हो जाएगी।
वहीं कुरुक्षेत्र से इनेलो के टिकट पर अभय सिंह चौटाला ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में अगर ये विधायक लोकसभा का चुनाव जीतते हैं तो हरियाणा की 3 विधानसभा सीट खाली हो जाएंगी।
मोहन लाल बड़ौली 1989 से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े हुए हैं।
2663 वोटों से जीते थे बड़ौली
बड़ौली ने 2019 में सोनीपत की राई विधानसभा से चुनाव लड़ा और 2,663 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। मोहन लाल बड़ौली 1989 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं। बाद में भाजपा में शामिल हो गए। वह सोनीपत क्षेत्र के बहुत कम भाजपा पार्टी कार्यकर्ताओं में से थे। इनेलो राज के दौरान मुरथल से जिला परिषद का चुनाव जीतने वाले वह पहले भाजपा प्रत्याशी थे।
साल 2020 में बड़ौली को भाजपा ने सोनीपत का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया। इसके अलावा 2021 में उन्हें प्रदेश महामंत्री के पद के साथ हरियाणा भाजपा की कोर टीम में शामिल किया गया।
रणजीत चौटाला पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे हैं। हिसार सीट पर चौटाला परिवार का दबदबा रहा है। इसलिए भाजपा ने उन्हें यहां चुनावी मैदान में उतारा है।
चौटाला ने कांडा को दी कड़ी मात
रणजीत चौटाला 2019 में सिरसा की रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक बने। तभी से वह कैबिनेट में मंत्री हैं। कांग्रेस से टिकट कटने पर वे निर्दलीय मैदान में उतरे और हरियाणा लोकहित पार्टी के गोविंद कांडा को 19,431 वोट से हराया था।
मुख्यमंत्री नायब सैनी की कैबिनेट में शामिल होने वाले एकमात्र निर्दलीय विधायक हैं। रणजीत चौटाला की किसानों और जाटों के वोट बैंक पर मजबूत पकड़ है। ठीक लोकसभा चुनाव से पहले रणजीत को पार्टी में शामिल करके भाजपा जाट वोट बैंक को साधने की फिराक में है।
मनोहर लाल खट्टर ने 13 मार्च को करनाल विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद भाजपा हाईकमान ने उन्हें करनाल सीट से लोकसभा चुनाव का टिकट दे दिया।
पहली बार विधायक बने, पार्टी ने सीएम बनाया
मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के 10वें मुख्यमंत्री रहे हैं। 2014 में करनाल विधानसभा सीट से पहला चुनाव जीतने के बाद 26 अक्टूबर 2014 को उन्होंने पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। 2019 हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने जजपा के साथ गठबंधन किया और दूसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। 12 मार्च को गठबंधन टूटा और मनोहर लाल ने इस्तीफा दे दिया।
अभय चौटाला सिरसा की ऐलनाबाद सीट से विधायक हैं। किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उपचुनाव में वह दोबारा विधायक चुने गए।
कुरुक्षेत्र के रण में उतरे अभय चौटाला
इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला भी कुरुक्षेत्र के रण में उतर गए हैं। अभय सिंह चौटाला ऐलनाबाद विधानसभा सीट से विधायक हैं। अगर वे जीते तो उन्होंने भी विधानसभा की सीट से इस्तीफा देना पड़ेगा। भाजपा ने अभय सिंह चौटाला और कांग्रेस-आप के प्रत्याशी सुशील गुप्ता के सामने पूर्व सांसद नवीन जिंदल को चुनावी दंगल में उतारा है। नवीन जिंदल ने रविवार देर शाम को ही भाजपा जॉइन की है।