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करनाल विधानसभा उप-चुनाव पर हाई कोर्ट का फैसला आज: 1986 तोशाम सीट की दी गई थी दलील

 
करनाल विधानसभा उप-चुनाव

Karnal upchunav: करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है, और अब पूरी उम्मीद हाई कोर्ट के फैसले से जुड़ी है। जिसके लिए आज का दिन काफी अहम है।

हाई कोर्ट में फैसला सुरक्षित

हाईकोर्ट में करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर आज तीसरे दिन फैसला आएगा।

करनाल विधानसभा सीट के लिए 25 मई को होने वाले उप-चुनाव को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अब तक दो दिन सुनवाई हो चुकी है। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, संभावना है कि आज इस मामले में फैसला हाईकोर्ट की ओर से सुनाया जाए। इस मामले में सेकेंड डे की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से दलील दी गई है कि 1986 में भिवानी की तोशाम सीट पर ऐसे ही उप-चुनाव कराया जा चुका है, इसलिए चुनाव आयोग के उप-चुनाव कराने का फैसला सही है।

विधानसभा का कार्यकाल एक साल से कम होने का हवाला

हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल एक साल से कम होने की दलील देते हुए चुनाव रद्द करने की मांग की गई थी। इस याचिका में बीते दिनों आए महाराष्ट्र के अकोला उप-चुनाव को रद्द करने के मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर बैंच के फैसले को आधार बनाया गया है। वहां पर विधानसभा कार्यकाल एक वर्ष से कम होने के चलते उप-चुनाव रद्द करने का आदेश जारी किया गया था।

पूर्व सीएम के इस्तीफे के बाद खाली हुई करनाल सीट

पूर्व सीएम मनोहर लाल के इस्तीफे के बाद करनाल सीट खाली हुई है। अब भाजपा ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को यहां से उप-चुनाव का प्रत्याशी बनाया है। हाईकोर्ट चुनाव आयोग से मांग चुका जवाब हरियाणा के नए CM नायब सैनी की उम्मीदवारी वाली करनाल सीट पर विधानसभा उप-चुनाव के खिलाफ याचिका को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को मंजूर कर लिया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग समेत केस से जुड़े दूसरे पक्षों को नोटिस जारी कर 30 अप्रैल तक जवाब देने को कहा गया था। करनाल विधानसभा सीट पूर्व CM मनोहर लाल खट़्टर के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी।

नायब सैनी को हरियाणा का सीएम बने रहने के लिए 6 महीने के भीतर विधायक बनना जरूरी है। चूंकि हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल अभी इससे ज्यादा बचा है, इसलिए चुनाव लड़कर जीतना उनकी मजबूरी है।

नियमों के मुताबित EC को चुनाव कराने का अधिकार नहीं

नियम के तहत जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151A के अनुसार, यदि विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से कम है तो चुनाव आयोग के पास उप-चुनाव कराने का अधिकार नहीं होता है। महाराष्ट्र के अकोला के लिए भी चुनाव आयोग ने 15 मार्च को अधिसूचना जारी कर 26 अप्रैल को चुनाव करवाने का निर्णय लिया था।