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 खतरे में इनेलो का अस्तित्व, स्टेट पार्टी के दर्जे पर संशय, छिन सकता है पार्टी चिन्ह

 
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INLD:कभी राष्ट्रीय राजनीति से लेकर हरियाणा की सियासत में अहम रोल अदा करने वाली इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है। पार्टी का लंबा इतिहास रहा है। इसने लोकदल, जनता दल, समाजवादी जनता दल और हरियाणा लोकदल राष्ट्रीय से लेकर इनेलो तक का सफर तय किया है।

बिखरा परिवार तो हुआ नुकसान

पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल ने पार्टी का सफर शुरू किया था। 2018 में चौटाला परिवार बिखरा तो इनेलो को बड़ा नुकसान हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव में 1.89% और विधानसभा चुनाव में 2.44% ही वोट मिल पाए। लोकसभा में कोई सीट नहीं मिली। विधानसभा में सिर्फ पार्टी के प्रधान महासचिव अभय चौटाला अपनी सीट बचा पाए। INLD

6% से कम मिले वोट तो बढ़ेगी परेशानी

इस बार भी कम से कम 6% वोट और एक सीट या 8% वोट नहीं मिले तो स्टेट पार्टी का दर्जा व चश्मे का चुनाव निशान तक छिन सकता है।

इनेलो का अब तक का सफर

1998 में ताऊ देवीलाल के समय जन्मी इस पार्टी का इंडियन नेशनल लोकदल नाम पड़ा। 1999 में इसी नाम से चुनाव लड़ा गया। भाजपा के साथ गठबंधन किया और दोनों ने 5-5 सीटों पर चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की।

2000 में विधानसभा चुनाव इनेलो ने भाजपा के साथ गठबंधन में लड़ा। इनेलो ने 62, भाजपा ने 29 उम्मीदवार उतारे। इनेलो ने 47, भाजपा ने 6 सीटें जीतीं। ओम प्रकाश चौटाला 5वीं बार सीएम बने।

2004 के चुनाव में भाजपा-इनेलो का गठबंधन टूटा। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 9 और भाजपा ने एक सीट जीती। 2005 में विधानसभा चुनाव में इनेलो को सिर्फ 9 सीटों पर जीत मिली।

2009 के लोकसभा चुनाव में भी इनेलो कोई सीट नहीं जीत सकी। लेकिन विधानसभा चुनाव में 32 सीटों पर जीत हासिल की। इनमें एक सीट पर गठबंधन में अकाली दल का प्रत्याशी था।

2014 के लोकसभा चुनाव में इनेलो ने 2 सीटें जीतीं। विधानसभा चुनाव में भी 19 सीटें जीत गई।

2018 में इनेलो बिखर गई। ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला व उनके बेटों ने अलग होकर जननायक जनता पार्टी बना ली।

2019 के लोकसभा चुनाव में इनेलो को कोई सीट नहीं मिली। विधानसभा चुनाव में भी एक ही सीट मिली।

लोस में 6% वोट व 1 सीट, विस में 6% वोट और 2 सीटें जरूरी

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है कि किसी भी पार्टी को लगातार दो चुनाव (लोकसभा व विधानसभा) में निर्धारित वोट नहीं मिलते हैं तो स्टेट पार्टी का दर्जा छिन जाता है। लोकसभा चुनाव में 6% वोट और एक सीट या 8% वोट की जरूरत होती है। विधानसभा में 6% वोट और 2 सीटें होनी चाहिए।

नियम के अनुसार, अगर लगातार 2 चुनाव (2 लोस व 2 विस) में ये सब नहीं होता है तो पार्टी का चुनाव चिन्ह भी छिन सकता है।