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 IAS खेमका पर सरकार की आलोचना करने का आरोप, जानें IAS संजीव वर्मा ने किसे भेजी शिकायत?

 
रियाणा के सीनियर IAS अफसरों
Ias vivid: हरियाणा के सीनियर IAS अफसरों का विवाद अब सरकार तक पहुंच गया है। IAS संजीव वर्मा ने अपने ही समकक्ष ऑफिसर अशोक खेमका के खिलाफ सरकार को एक शिकायत भेजी है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्होंने वाड्रा लैंड डील को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे टारगेट किया है।

सरकारी सेवक होते हुए सरकार की आलोचना

उन्होंने अपनी शिकायत में लिखा है कि IAS अशोक खेमका एक सरकारी सेवक होते हुए भी सरकार की ही आलोचना कर रहे हैं। साथ ही भारत के प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट कर हरियाणा के मुख्यमंत्री की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि उनकी यह पोस्ट तब आई है जब सूबे में लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है।

KHEMKA

पढ़िए शिकायत में क्या है...

CS को भेजी शिकायत में IAS संजीव वर्मा ने लिखा है कि हरियाणा में 25 मई को वोटिंग होनी है। इसलिए, चुनाव के मद्देनजर सोशल मीडिया पर सरकारी कर्मचारी का ऐसा संदेश घृणित और विवादास्पद है। यह संदेश न केवल मतदाताओं को उत्तेजित करेगा, बल्कि शत्रुता या घृणा की भावनाओं को भी बढ़ावा देगा। यह एक तरह से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है, जिसके लिए IAS अशोक खेमका दंड के लिए उत्तरदायी है। उनके खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 123 और 125 और IPC की धारा 153ए के तहत कार्रवाई की जाए।

शासक की मंशा कमजोर क्यों?

अशोक खेमका ने लिखा था, ''वाड्रा-DLF सौदे की जांच सुस्त क्यों? 10 साल हुए, और कितनी प्रतीक्षा। ढींगरा आयोग की रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में। पापियों की मौज। शासक की मंशा कमजोर क्यों? प्रधानमंत्री का देश को वर्ष 2014 में दिया गया वचन एक बार ध्यान तो किया जाए।'

अपने दोष छिपाने के लिए दूसरों के गिना रहे

वहीं, IAS संजीव वर्मा ने लिखा, 'लोग अपने दोष छिपाने के लिए दूसरे के दोष गिनाने लगते हैं, ये भूल कर कि ऐसा करने से वो खुद दोष मुक्त या पवित्र नहीं हो जाते। उन्होंने ऐसे लोगों के लिए एक कहावत भी लिखी है, 'औरों को बुढ़िया सिखविद दे अपनी खाट भीतरी ले।'

खेमका का दावा- भाजपा ने राष्ट्रीय मुद्दा बनाया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई

अशोक खेमका ने कांग्रेस सरकार के समय वाड्रा DLF लैंड डील को लेकर सवाल खड़े किए थे। भाजपा ने इसे चुनाव के दौरान राष्ट्रीय मुद्दा बनाया था। 2014 के चुनाव में इस लैंड डील को लेकर पार्टी ने प्रचार सामग्री तक छपवाई थी, लेकिन जब पार्टी सत्ता में आई तो इस मामले में कोई भी कार्रवाई अभी तक नहीं की गई।

इसके बाद इस डील को क्लीन चिट देने वाले अधिकारी को दोबारा पद देने पर खेमका का यह दर्द छलका है। इससे पहले खेमका ने 11 महीने पहले भी लगातार दो ट्वीट कर इस लैंड डील को लेकर सवाल उठाए थे। खेमका मार्च 2023 में इस मामले में वित्तीय लेन देन की जांच को लेकर सरकार के द्वारा गठित की गई नई SIT पर भी सवाल खड़े कर चुके हैं।

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5 महीने पहले दोनों ने लगाए थे आरोप

5 महीने पहले हरियाणा के इन दोनों सीनियर IAS ने एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाए थे। इसके बाद हरियाणा सरकार की ओर से ASC टीवीएसएन प्रसाद अब मुख्य सचिव भी दोनों के द्वारा एक दूसरे के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करने के निर्देश दिए गए थे। सरकार की ओर से इसको लेकर ऑर्डर भी जारी किए गए थे। हरियाणा के IAS अशोक खेमका और संजीव वर्मा ने एक दूसरे के खिलाफ लॉग बुक में हेराफेरी और फर्जी नियुक्ति किए जाने संबंधी शिकायतें की हैं। IAS अशोक खेमका ने संजीव वर्मा के खिलाफ 5 और संजीव वर्मा ने अशोक खेमका के खिलाफ सरकार में 3 शिकायतें कर चुके हैं।

क्या है DLF लैंड डील विवाद

वाड्रा DLF लैंड डील मामला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और प्रमुख भारतीय रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ लिमिटेड के बीच हुआ था। रॉबर्ट वाड्रा और DLF के बीच ये सौदा फरवरी 2008 में हुआ था। रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने गुरुग्राम के मानेसर-शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपए में करीब 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। इस प्लॉट का म्यूटेशन अगले ही दिन स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के पक्ष में कर दिया गया और 24 घंटे के अंदर जमीन का मालिकाना हक रॉबर्ट वाड्रा को ट्रांसफर कर दिया गया।

र्व CM हुड्‌डा पर लगे आरोप

जमीन की यह डील जब हुई उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे। माना जाता है कि इस प्रक्रिया में आम तौर पर 3 महीने लग जाते हैं। हालांकि, इस मामले में जमीन खरीदने के करीब एक महीने बाद हुड्डा सरकार वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को इस जमीन पर आवासीय परियोजना विकसित करने का परमिशन दे देती है।