Yuva Haryana

करनाल लोकसभा में कांग्रेस का दांव: पूर्व CM मनोहर लाल का सामना करेंगे कांग्रेस के युवा नेता बुद्दिराजा

 
 करनाल लोकसभा
Karnal loksabha seat: कांग्रेस ने करनाल से 31 वर्षीय युवा चेहरा दिव्यांशु बुद्धिराजा को भाजपा के दिग्गज एवं दो बार मुख्यमंत्री रह चुके मनोहर लाल के सामने उतारा है।

बुद्धिराजा राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा व वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के नजदीकी हैं। कांग्रेस ने करनाल लोकसभा पर दिव्यांशु को उम्मीदवार उतार कर पंजाबी कार्ड खेल कर भी अपनी मजबूती दिखाने की कोशिश की है। इसमें एक बात यह भी है कि जितनी बुद्धिराजा की उम्र है, उससे कई ज्यादा मनोहर लाल का राजनीतिक अनुभव है।

मनोहर लाल अपनी सरकार के दौरान युवाओं को मेरिट आधार और बिना खर्ची-पर्ची के दी गई रोजगारों और भ्रष्टाचार पर लगाम को मुख्य मुद्दा बता रहे हैं। यहीं, कांग्रेस का मुद्दा भी यही है। लेकिन उनका कहना है कि प्रदेश में बेरोजगारी और भ्रष्टाचार बढ़ा है।

दिव्यांशु ने कहा कि प्रदेश में खासतौर से करनाल लोकसभा में बेरोजगारी, नशा, डंकी से विदेश जाना, महंगाई, शिक्षा ऐसे प्रमुख मुद्दे हैं, जोकि लगभग हर घर को प्रभावित करते हैं। हर घर का युवा इन मुद्दों पर अपने मत का प्रयोग करेगा।

युवाओं की उठा चुके हैं आवाज

दिव्यांशु बुद्धिराजा युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। वे NSUI के नेता भी रह चुके हैं और पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रधान रह चुके हैं। करनाल के सेक्टर 4 में रहते हैं। वह पिछले लंबे समय से युवाओं को लेकर लगातार सक्रिय थे। उन्होंने युवाओं को रोजगार उनके प्रदेश छोड़कर विदेश में जाने समेत प्रदेश में आयोजित प्रतियोगी परीक्षा को लेकर लगातार आवाज उठाई।

उन्होंने पिछले दिनों इसको लेकर न्याय यात्रा भी निकाली थी। उस समय किसी को भी एहसास नहीं था कि दिव्यांशु बुद्धिराजा कांग्रेस के करनाल लोकसभा प्रत्याशी भी हो सकते हैं। युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन कुंडू ने बताया कि कांग्रेस ने युवाओं पर भरोसा किया है और वह लोकसभा चुनाव में कुछ अलग कर दिखाएंगे।

करनाल-पानीपत में पंजाबी की संख्या ज्यादा, वोटों का होगा बंटवारा

दिव्यांशु 2013 से कांग्रेस से जुड़े है और दीपेंद्र हुड्डा के काफी नजदीकी हैं। करनाल से दिव्यांशु को टिकट देकर कहीं न कहीं कांग्रेस ने भी पंजाबी कार्ड खेला है। करनाल और पानीपत में पंजाबी बड़ी संख्या में है और अगर दिव्यांशु उन्हें साथ लाने में कामयाब होते है तो भाजपा के समीकरण बिगड़ सकते है।

विविद यह भी है कि लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने हरियाणा से पहली बार सबसे युवा नेता को टिकट दिया है जिस वजह से युवा भी कांग्रेस को बड़ी संख्या में वोट कर सकते है। दिव्यांशु के लिए सबसे बड़ी चुनौती करनाल के सभी कांग्रेसियों को साथ लाना रहेगी, अगर वह इसमें कामयाब हो गए तो चुनावीं परिणाम बेहद चौकाने वाले हो सकते है। बता दें कि कांग्रेस ने करनाल लोकसभा से पहली बार किसी खत्री पंजाबी को टिकट दिया है।

यह रहेगी चुनौती

दिव्यांशु बुद्धिराजा के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा के मजबूत प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल होंगे। मनोहर लाल पानीपत समेत करनाल की सभी नौ विधानसभाओं में दो बार जनसभा कर चुके हैं। इसके अलावा पार्टी के कार्यकर्ता विधानसभा और बूथ स्तर पर लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। बुद्धिराजा को चुनाव प्रचार के लिए 30 दिन ही मिले हैं। उनको इन 30 दिनों में सभी 9 विधानसभाओं में पहुंचना होगा।

मनोहर लाल के सामने संजय भाटिया का रिकॉर्ड

लोकसभा चुनाव 2019 के परिणामों में करनाल लोकसभा सीट से बीजेपी के संजय भाटिया ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी। यहां भाटिया ने हरियाणा की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस के कुलदीप शर्मा को 6 लाख 56 हजार 142 वोट से हराया था। भाटिया को कुल पड़े मतदान का 70.08 फीसदी मिला था।

भाटिया की ये जीत देश में दूसरे नंबर पर थी। अब करनाल के रहने वाले प्रदेश के दो बार के पूर्व सीएम मनोहर लाल के सामने भाटिया के इन रिकॉर्ड मतों से ज्यादा जीतने, रिकॉर्ड बरकरार रखने की बड़ी चुनौती भी रहेगी। वहीं, देखना यह भी होगा कि क्या कांग्रेस के दिव्यांशु इस सीट पर किस तरह का मुकाबला देंगे।

इनके नामों की अटकलें धरी रह गई

विदित है कि लोकसभा के चुनाव 25 मई को हैं। भाजपा प्रदेश की सभी 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी है। करनाल लोकसभा से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पिछले दिनों उम्मीदवार घोषित किया था। इससे पहले उनसे मुख्यमंत्री का इस्तीफा लिया था। इसके बाद हर किसी की नजर कांग्रेस के प्रत्याशी पर टिकी हुई थी। कांग्रेस के टिकट पर कभी वीरेंद्र राठौर तो कभी पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा के सुपुत्र चाणक्य पंडित का नाम प्रमुखता से रखा जा रहा था।

इन सब के बीच दो दिन पहले एनसीपी के नेता वीरेंद्र मराठा का नाम भी सामने आया था। पानीपत से बड़ा पंजाबी चेहरा वरिंदर शाह का नाम भी कई बार चर्चाओं में चला। गुरुवार को कांग्रेस की सूची में सभी अटकलें और प्रयास धरे रह गए। यहां से दिव्यांशु बुद्धिराजा को