ठाठ नवाबी, काम खराबी: लग्जरी लाइफ जीने वाले हाईटेक अंतरराज्यीय चोर गिरोह का पर्दाफाश

थाना सदर में दर्ज शिकायत में अमन खुराना निवासी गुरुनानक कॉलोनी पिहोवा ने बताया था कि आठ फरवरी को उसे अपनी कार में निजी काम से जयपुर जाना था। रात को उसने अपनी कार को कुरुक्षेत्र के सेक्टर-चार में अपने दोस्त के घर के सामने खड़ी किया था। अगली सुबह उसके दोस्त ने उसे कार चोरी होनी की सूचना दी थी। शिकायत पर थाना सदर थानेसर में मामला दर्ज कर जांच सीआईए-दाे ने करते हुए आरोपी गुरमीत सिंह को गिरफ्तार करके अदालत से 10 दिन के रिमांड पर लिया था। गुरमीत सिंह की निशानदेही पर पुलिस ने आरोपी दीपक खन्ना व भूपिंद्र सिंह को भी गिरफ्तार किया।
आरोपियों की निशानदेही पर जारी कार्रवाई
आरोपियों से चोरीशुदा छह लग्जरी कार बरामद हुईं। चोरीशुदा कार जिला पानीपत, यमुनानगर, करनाल व कुरुक्षेत्र से चुराई गई थी। दो कार आई-20 व टोयोटा इनोवा को आरोपी वारदात में इस्तेमाल करते थे। साथ ही उनके कब्जे से वारदात में इस्तेमाल स्कैनर मशीन, टूल किट, चाबियां व अन्य औजार भी बरामद हुए।
सात दर्जन मामले दर्ज
सीआईए-दो के प्रभारी मोहन लाल ने बताया कि आरोपी दीपक खन्ना के खिलाफ दिल्ली में ही गाड़ी चोरी के करीब सात दर्जन मामले दर्ज हैं। आरोपी दीपक जिला पंचकूला अदालत से भगोड़ा भी घोषित है। आरोपी के दूसरे साथी गुरमीत सिंह के खिलाफ भी धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं। आरोपी गुरमीत सिंह पंजाब से भगोड़ा आरोपी घोषित है।
जानें कैसे स्कैनर से चुराते थे कार
सीआईए-दो के प्रभारी मोहन लाल ने बताया कि आरोपी दीपक खन्ना गाड़ी का शीशा तोड़कर कार स्कैनर की सहायता से मास्टर चाबी के साथ स्टार्ट करके चोरी करता था। आरोपी के पास टोयोटा कंपनी की कार की मास्टर चाबी भी थी। चोरी करने के बाद आरोपी गाड़ी को ढाई-तीन लाख रुपये में आरोपी गुरमीत सिंह को बेच देता था। उसके बाद आरोपी गुरमीत गाड़ी को फाइनेंस की बताकर या दूसरे राज्य असम व अरुणाचल प्रदेश से गाड़ी का रजिस्ट्रेशन करवाकर महंगी कीमत पर बेच देता था। अदालत के आदेश से तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया है।
चेारी के रुपयों से विदेशों में करते थे मौज
कार चोरी करने का मास्टरमाइंड दीपक खन्ना लग्जरी लाइफ जीना चाहता था। इसलिए 12 वीं पास कर मैकेनिक दीपक ने लग्जरी कार चुराने का हाईटेक तरीका खोज निकाला। उसने लग्जरी गाड़ियों का कोड स्कैन करने वाली मशीन का प्रबंध किया। करीब डेढ़ लाख रुपये की इस स्कैनर मशीन की मदद से दीपक 10 से 15 मिनट के भीतर ही चोरी की वारदात को अंजाम देता था।
टोयोटा कंपनी की कार उनकी पहली पसंद होती थी। कार चुराने के बाद आरोपी विदेश भाग जाते थे और चोरी के रुपयों से वहां मौज करते थे। इस काम में उसका साथी भूपिंद्र सिंह भी उसका सहयोग करता था। भूपिंद्र दिन में रेकी करता था और रात में दोनों मिलकर चोरी की वारदात को अंजाम देते थे।