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UPSC में सफल होने वालों को कहां से मिलती है संजीवनी? जानें अनुभव, त्याग, समर्पण की कहानी

 

UPSC topers: 10 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी इस बार UPSC परीक्षा में बैठे थे और अंत में सिर्फ 1016 के सिर सफलता का सेहरा बंधा। परीक्षा में पास हुए ये लोग अब सिविल सर्वेंट कहलाएंगे। सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है और सिविल सर्विसेज देश की सबसे प्रतिष्ठित नौकरियों में से एक।

चंद लोगों का ही साकार होता है सपना

दिल्ली का मुखर्जी नगर हो या इलाहाबाद का सलोरी इलाका या फिर पटना का बाजार समिति, हजारों की संख्या में यहां हर साल देश के कोने-कोने से छात्र एक सपना लेकर आते हैं कि एक दिन वे प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होंगे। लेकिन यह सपना सिर्फ चंद लोगों का ही साकार होता है।

अगर परीक्षा के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि प्रत्येक 1 हजार में से सिर्फ 1 स्टूडेंट ही इस एग्जाम को क्रैक कर सका। ऐसे में सवाल ये उठता है कि किसी भी परीक्षा में सफल या असफल होने का पैमाना क्या है। एक सफल हुए व्यक्ति और 999 असफल लोगों के बीच क्या फर्क है। क्यों उनकी मेहनत रिजल्ट में तब्दील नहीं हो पाती?

क्या 8 से 10 घंटे पढ़ना जरुरी है?

आज टॉपर्स के अनुभवों, मनोवैज्ञानिक रिसर्च और लाइफ कोच की मदद से उन आदतों को जानने की कोशिश करेंगे, जो सफलता और असफलता की बुनियाद हैं। साथ ही यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि एक जैसी स्थिति में 8-10 घंटे पढ़ने वाला कोई स्टूडेंट क्यों सफल होता है और दूसरा किन वजहों से पीछे रह जाता है। जैसाकि फेमस किताब 'टॉपर्स स्टडी हैक्स' के लेखक अविनाश अग्रवाल लिखते हैं, “बहुत से छात्रों के नंबर कम इसलिए नहीं आते क्योंकि उनमें ज्ञान, मेहनत या बुद्धिमत्ता की कमी है। इसलिए आते हैं क्योंकि उनके पास सही गाइडेंस, प्लांड अप्रोच और स्टडी टेक्नीक नहीं होती। छात्रों के सामने चुनौती क्षमता की नहीं बल्कि उस क्षमता को रिजल्ट में बदलने की है।