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त्योहार पर न न करते हुए जब खानी पड़े मिठाई, पेट का ऐसे रखें ख्याल... 

 
Festival: त्योहारों में एक चीज और कॉमन है, इसमें बनने वाले पकवान। अब इन्हें खाने के बाद शरीर की जो हालत होती है पूछिए मत। इसे अगर जल्दी से डिटॉक्स न किया जाए तो मुश्किल खड़ी हो सकती है।

न न करते हुए खानी पडती है मिठाई

हर चीज को ना-ना करते हुए भी लोग इतने पकवान और मिठाइयां तो खा ही लेते हैं कि बीपी, शुगर नॉर्मल से कहीं ऊपर होते हैं। अगर दादी या नानी हैं तो और इसे थोड़ा सा तो और ज्यादा मानकर चलिए। जो लोग बीपी-शुगर का पेशेंट है तो उनकी तो जान जोखिम में होती है।

डिटॉक्सिफिकेशन मौजूदा समय की बेहद चर्चित प्रक्रिया है, इसमें शरीर में मौजूद टॉक्सिंस को बाहर निकालते हैं। त्योहार में बहुत पकवान और मिठाई खाने से शरीर में फैट और शुगर बहुत बढ़ जाता है। इस दौरान बहुत सॉल्टी खाना हमारा बीपी भी शूट-अप कर देता है। इसे सामान्य करने के लिए बॉडी को डिटॉक्स करने की जरूरत पड़ती है।

इस प्रक्रिया में इनर ऑर्गन्स को आराम दिया जाता है। हल्का खाना खाया जाता है और लिक्विड इनटेक बढ़ा दिया जाता है। असल में डिटॉक्सिफिकेशन शरीर के कामकाज में संतुलन वापस लाता है और बॉडी के सिस्टम को सही ढंग से काम करने में मदद करता है।

डिटॉक्सिफिकेशन हमारी समझ से काफी अलग

आमतौर पर लोग डिटॉक्सिफिकेशन का मतलब समझते हैं कि इसमें लिक्विड इनटेक बढ़ा दिए जाते हैं और खास तरह की डाइट ली जाती है। जबकि इसके साथ कुछ चीजों को खाने-पीने की मात्रा कम करना भी बेहद जरूरी है।

शराब से बनाएं दूरी

होली में शराब और भांग के नशे का सुरूर रहता है। दिल्ली के सीनियर फिजिशियन डॉ. बॉबी दीवान के मुताबिक शराब का सीधा लोड आपके लिवर पर पड़ता है। चूंकि इस दौरान लोग फैटी फूड्स खा रहे होते हैं तो लिवर की सेहत मुश्किल में पड़ सकती है। बेहतर होगा कि शराब से दूरी बनाई जाए।

क्वालिटी नींद है जरूरी

त्योहार के समय ज्यादा फैटी फूड्स खाने से मेटाबॉलिज्म पर लोड बढ़ता है। अगर यह देर रात तक फंक्शन करता है तो इसका असर नींद पर पड़ता है। साउंड स्लीप नहीं मिलती है, इसकी भरपाई थोड़ी ज्यादा देर सोकर कर सकते हैं। डॉ. बॉबी दीवान कहते हैं कि अगर दो घंटे ज्यादा सो लिया जाए तो शरीर को आराम मिल जाता है।

पिएं ज्यादा से ज्यादा पानी

जब हमारा शरीर टॉक्सिंस से हुए नुकसान को रिपेयर करता है तो इसके लिए एनर्जी की जरूरत होती है। हमारी खाई चीजों को एनर्जी के रूप में ब्रेके डाउन करने के लिए पानी चाहिए, फिर इन टॉक्सिंस को वेस्ट के रूप में बाहर निकालने के लिए भी पानी की जरूरत होती है। क्योंकि ये पेशब या मल के साथ बाहर निकलेंगे। अगर रोजाना पानी की जरूरत से 2 गिलास ज्यादा पानी पिया जाए तो यह पर्याप्त होगा।

प्रीबायोटिक फूड ज्यादा खाएं

पेट में हेल्दी बैक्टीरियल ग्रोथ को बढ़ावा देते हैं। ये प्रीबायोटिक्स आंतों में जमा हो गए प्रोबायोटिक्स को फैटी एसिड जैसे नेचुरल कंपोनेंट में बदल देते हैं। ये हमारे पाचनतंत्र को भी स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। चूंकि त्योहार में सबसे अधिक नुकसान पाचन तंत्र को ही हुआ होता है, इसलिए प्रीबायोटिक्स का पर्याप्त मात्रा में सेवन बेहद जरूरी है। ये इम्यून सिस्टम भी मजबूत करते हैं।