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 अंतरिक्ष में मरने पर क्या मिलेगा सीधा स्वर्ग? या अंतिम संस्कार के लिए मिलेगी धरती?  जानिए अंतरिक्ष से जुड़ा अनदेखा अनसुना सच….

 

अंतरिक्ष में मरने पर क्या मिलेगा सीधा स्वर्ग? या अंतिम संस्कार के लिए मिलेगी धरती?  जानिए अंतरिक्ष से जुड़ा अनदेखा अनसुना सच….

Space: अंतरिक्ष अभी भी आम आदमी के लिए किसी राज से कम नहीं है। यहां क्या होता है और क्या हो सकता है ये अभी भी आम लोगों के लिए सवाल बना हुआ है। कई बार अंतरिक्ष में जाने वालों के बारे में तो सुना है..लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि अगर वहां किसी की मौत हो जाती है तो उसके शव का क्या होगा।

 आज तक अंतरिक्ष में नहीं छोड़ा गया कोई शव

कुछ लोग मानते हैं कि वहां शव फट जाएगा या फिर जल जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं होने वाला। अंतरिक्ष में एक शव के साथ जो होगा वह हमारी कल्पना से परे है। आइए जानें इसके बारे में।

अंतरिक्ष दुनिया की सबसे खतरनाक जगहों में से एक है, जहां किसी भी तरह की दिक्कत आने पर मदद नहीं मिलेगी। एक बार को अगर समुद्र के बीच में कोई समस्या आती है तो मदद की उम्मीद है, लेकिन अंतरिक्ष में ऐसी कोई भी उम्मीद नहीं की जा सकती। मान लेते हैं कि अगर कोई अंतरिक्ष यात्री स्पेसवॉक के दौरान अचानक मर जाए तो क्या होगा? अच्छी बात है कि अभी तक ऐसा कभी हुआ नहीं है। हालांकि अंतरिक्ष यान के हादसों ने अंतरिक्ष यात्रियों की जान ली है। फिर भी अगर ऐसी स्थिति आ जाए तो अंतरिक्ष यात्री क्या करेंगे? क्या वह शव को अंतरिक्ष में छोड़ देंगे और अगर हां तो शव का क्या होगा?

  शव का बचा हुआ पानी जम सकता है

बायलर कॉलेज में ट्रांसलेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस हेल्थ के चीफ इंजीनियर जिमी वू ने कहा अंतरिक्ष में कम दबाव वाले वैक्यूम में शरीर की सतह त्वचा, आंख, मुंह, कान और फेफड़े से कोई भी तरल तुरंत गैस में बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि मौत के बाद भी शरीर के करीब की रक्त वाहिकाएं फट सकती हैं और मौत के बाद खून बह सकता है। वू ने कहा कि अंतरिक्ष में तापमान माइनस 270.35 डिग्री सेल्सियस होता है, जिस कारण शरीर का बचा हुआ पानी जम जाएगा।

बैक्टीरिया तीन साल तक अंतरिक्ष में जीवित रह सकते हैं

तरल पदार्थ की कमी और ठंठ शव को ममीकृत अवस्था में बदलने का कारण बन सकता है। वू ने कहा कि इसे देखने पर ऐसा लगेगा कि यह एक डिहाइड्रेट हुआ शरीर है, जो अब अंतरिक्ष में है। बिना स्पेससूट के अंतरिक्ष में जाने वाले किसी भी अंतरिक्ष यात्री का यही हाल होगा। आगे क्या होगा वह इस पर निर्भर करता है कि आसपास कोई बैक्टीरिया है या नहीं। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में शोध से वैज्ञानिकों ने पाया है कि बैक्टीरिया तीन साल तक अंतरिक्ष में जीवित रह सकते हैं।

अंतरिक्ष का शक्तिशाली रेडिएशन भी हो सकता है

अगर बैक्टीरिया शरीर में जीवित रहे तो वह इसे पचाना शुरू कर देंगे। अंतरिक्ष में ISS के लिए तापमान कई जगह बेहद गर्म तो कई जगह बेहद ठंडा हो सकता है। जहां गर्म तापमान आएगा वहां शव का गलना बेहद तेज हो जाएगा। अंतरिक्ष का शक्तिशाली रेडिएशन भी संभवतः शरीर पर प्रभाव डालेगा। यह कार्बन बॉन्ड को तोड़ देगा और त्वचा और मांसपेशियों को खराब कर देगा। एक समय ऐसा आएगा जब शव अंतरिक्ष में तैरते हुए पृथ्वी की कक्षा में जाएगा और फिर जलकर खत्म हो जाएगा। नासा एक बॉडी बैग विकसित कर रहा है, जो अवशेषों को 48-72 घंटे तक सुरक्षित रख सके। धरती पर लाने के लिए इससे पर्याप्त समय मिल जाएगा।