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 ऐसे होते हैं बुद्धिमान व्यक्ति: ये आदतें बताती हैं कि आपका दिमाग है सामान्य है या तेज

 
Intelligence: एक स्टडी में पाया गया है कि आमतौर पर दिमाग से ज्यादा काम लेने वाले लोग अकेले वक्त बिताना पसंद करते हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि उन्हें रिश्ते-नातों की कद्र नहीं होती।

हाइली क्रिएटिव और इंटेलिजेंट लोग अपनी क्रिएटिविटी और थॉट प्रॉसेस पर काम करने के लिए अकेले वक्त बिताना चाहते हैं। इस वजह से कई बार उनमें सोशल एंग्जाइटी यानी भीड़भाड़ से परेशानी की समस्या भी देखी जाती है।

बुद्धिमान व्यक्ति सतत जिज्ञासु होता है

छोटे बच्चे खूब सवाल पूछते हैं क्योंकि उनमें दुनिया को जानने-समझने की चाह होती है। पापा आपका नाम क्या हैका जवाब मिलते ही आपका यह नाम क्यों है, यह नाम किसने रखा हैजैसे सवालों की झड़ी लगा देते हैं।

सवाल पूछना सिर्फ बच्चों का काम नहीं है। सवाल पूछना इंटेलिजेंट लोगों का भी काम है। एक औसत से अधिक बुद्धि का व्यक्ति खुद को और अपने आसपास की दुनिया को लेकर सतत जिज्ञासा और सवालों से भरा रहता है। न्यूटन के मन में यह जिज्ञासा न होती कि सेब पेड़ से टूटा तो नीचे ही क्यों गिरा, आसमान में क्यों नहीं गया तो हमें ग्रैविटी का पता नहीं चलता।

सोचकर देखिए, संसार की हर बड़ी खोज की शुुरुआत एक सवाल से ही तो होती है। ऐसा क्यों है, किसलिए है, ऐसा ही क्यों है, ऐसा न होता तो क्या होता। बिलकुल बच्चों जैसे बचकाने से लगने वाले, लेकिन बेहद जरूरी और बुनियादी सवाल।

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मिनिसोटा की एक रिसर्च कहती है कि सवाल पूछना दरअसल बुद्धिमत्ता की निशानी है। जरूरी नहीं, हर सवाल का अंत किसी बड़ी वैज्ञानिक खोज में हो, लेकिन हर सवाल पूछने वाला व्यक्ति औसत से ज्यादा दिमाग वाला जरूर है। वह खुद को और अपने आसपास की दुनिया को बेहतर तरीके से समझता है।

पैसिव लर्निंग की जगह एक्टिव लर्निंग को देते तरजीह

दुनिया भर की बातें जान लेने की चाह इंटेलिजेंट लोगों को खूब सारे सवाल पूछने के साथ-साथ सीखने के नए रास्ते ढूंढने की प्रेरणा भी देती है। ऐसे लोगों में किताबों को लेकर एक तरह की दीवानगी देखने को मिलती है। संभव है किसी इंटेलिजेंट शख्स का घर आपको लाइब्रेरी का एहसास करा दे।

इंटेलिजेंस और सीखने की चाह में एक और पैटर्न देखने को मिलता है। इंटेलिजेंट लोग पैसिव की बजाय एक्टिव लर्निंग पर जोर देते हैं। एक्टिव लर्निंग में सीखने के लिए अपनी ओर से ज्यादा कोशिश करनी पड़ती है। जैसे किताब पढ़ना, एक्सपेरिमेंट करना, सीखने के लिए अलग से मेहनत और कोशिश करना।

देर तक काम करने की आदत और चाय-कॉफी की लत

सेल्फ मोटिवेशन वेबसाइट हैक स्पिरिटकी एक रिपोर्ट के मुताबिक इंटेलिजेंट लोगों में देर तक काम करने की आदत होती है।

काम के प्रति जुनून और लंबे वर्किंग आवर के चलते ऐसे लोगों को दिन में जागने के लिए कैफीन की जरूरत महसूस होने लगती है। शायद यही वजह है कि चाय-कॉफी की लत को भी इंटलेक्चुअलिज्म और तेज दिमाग से जोड़कर देखा जाता है।

जल्दी बोर हो जाना भी इंटेलिजेंस की निशानी

अगर किसी एक चीज में लंबे समय तक मन न लगे, दिमाग नए-नए एंगेजमेंट ढूंढे तो यह सिर्फ एडीडी (अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर) का लक्षण नहीं है। यह इंटेलिजेंट होने की भी निशानी है। एक तेज और उर्वर दिमाग को सामान्य से ज्यादा खुराक की जरूरत होती है। वह रोज-रोज लगातार एक ही तरह का काम करते हुए बोर जाता है। उसके दिमाग को नई इंफॉर्मेशन चाहिए। विज्ञान की भाषा में कहें तो नए न्यूरॉन्स कनेक्शन।

विश्व प्रसिद्ध न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. डैनियल एमिन कहते हैं कि तेज दिमाग और नई चीजें करते रहने की आदत एक-दूसरे से इस तरह जुड़ी है कि कहना मुश्किल है कि कौन किसको प्रभावित कर रहा है। पुरानी चीजों से बोर हो जाने और नई चीजें करने-सीखने से PFC (प्री फ्रंटल कॉरटेक्स) में नए न्यूरॉन्स कनेक्शन बनते हैं और दिमाग तेज होता है और एक तेज दिमाग लगातार करने को कुछ नया ढूंढ रहा होता है। इस तरह दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।