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 सफलता की कहानी: जानें कभी मुंबई लोकल के धक्के खाने वाली जूही कैसे बनीं टीवी की कुमकुम?

 

Juhe parmaar: टीवी की डेली सोप की क्वीन कुमकम यानी की जूही हमेशा से ही एक्ट्रेस बनना चाहती थीं। जब वे मुंबई पहुंचीं तो आम स्ट्रगलर्स की तरह उन्हें भी संघर्ष करना पड़ा। एक वक्त ऐसा आया कि उन्होंने इंडस्ट्री छोड़ने का मन बना लिया था। वजह ये थी कि वे छोटे-मोटे रोल करके थक गई थीं। फिर टीवी शो कुमकुम उनकी झोली में गिरा और सब बदल गया।

संघर्ष भरी रही पर्सनल लाइफ

जूही की पर्सनल लाइफ में भी संघर्ष रहा। 9 साल में ही उनकी शादी टूट गई। आज जूही 11 साल की बेटी की सिंगल मदर हैं। थायरॉइड की वजह से उनका वजन इतना बढ़ गया था कि वे अपना चेहरा भी नहीं पहचान पाती थीं।

12 साल की उम्र में एक्ट्रेस बनने का फैसला किया था

एक्टिंग के शुरुआती सफर के बारे में जूही बताती हैं, 'जब मैं 12 साल की थी, तभी से एक्ट्रेस बनने का सपना देखा करती थी। उसी वक्त यह बात घरवालों को भी बता दी थी, लेकिन उन्हें लगा कि मैं मजाक कर रही हूं। उनका मानना था कि कोई पिक्चर देखकर आई हूं, इसलिए ऐसी बहकी-बहकी बातें कर रही हूं। हालांकि उनकी यह सोच बिल्कुल गलत थी।

बड़ी होने पर भी मैं हमेशा एक्टिंग के लिए जुनूनी रही। उम्र के इस पड़ाव पर जब पेरेंट्स ने देखा कि मैंने अपना ख्वाब नहीं बदला है, तो उन्होंने सपोर्ट किया।'

अच्छा काम नहीं मिलने पर इंडस्ट्री छोड़ने का प्लान बना लिया था

आम इंसान की तरह जूही भी एक्टिंग की दुनिया में हाथ आजमाने मुंबई आई थीं। इस सफर के बारे में उन्होंने बताया, 'पहली बार पापा मुझे मुंबई छोड़ने आए थे। यहां मैं एक साल तक दूर के चाचा के घर रही। फिर पीजी में रहने लगी थी। आम स्ट्रगलर की तरह मुझे भी रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। हालांकि मुझे हमेशा से ही पता था कि इस ख्वाब को पूरा करने में बहुत सारी दिक्कतें आएंगी। मैंने शुरुआत में छोटे-मोटे शोज किए। कई कार्टून शोज के लिए डबिंग भी की। इन्हीं कामों की वजह से मैं आगे बढ़ती गई और गुजर-बसर होता रहा।

हालांकि कुछ समय बाद मैं इन चीजों से थक गई। लंबे समय बाद भी जब बड़ा काम नहीं मिला तो सारी उम्मीदें टूटने लगीं। थक-हारकर मैंने घर वापस जाने का फैसला कर लिया। सोच लिया था कि करियर में ग्रोथ के लिए कुछ दूसरा काम करूंगी।'

500 रुपए थी पहली कमाई

आर्थिक संघर्ष के बारे में जूही ने बताया, 'मैं 5000 रुपए लेकर मुंबई आई थी। इसके बाद जब कभी भी पैसे की कमी हुई, तो पापा बिना कोई सवाल किए देते गए, लेकिन 2 महीने बाद मुझे एहसास हो गया कि मैं इस तरह लाइफ में कुछ भी बड़ा नहीं कर पाऊंगी। इसके बाद मैंने पापा से पैसा लेना बंद कर दिया।

फिर लोकल ट्रेन में धक्के खाने और पैसे बचाने के लिए पैदल चलने का सिलसिला शुरू हो गया। मेरी पहली कमाई सिर्फ 500 रुपए थी। ये पैसे मुझे चिड़िया की आवाज में डबिंग के लिए मिले थे। इनमें से 200 रुपए मैंने खुद के खर्च के लिए रखे थे। बाकी 300 रुपए से मां के लिए साड़ी खरीदी थी।'

शो कुमकुम के लिए ऑडिशन नहीं देना चाहती थीं

टीवी शो कुमकुम से जूही परमार को बहुत पॉपुलैरिटी मिली थी। इस शो में काम मिलने के बारे में जूही ने कहा, 'मुझे जयपुर पहुंचे कुछ ही वक्त हुआ था कि तभी मुंबई से कॉल आ गया। पता चला कि एक बहुत अच्छे शो का ऑडिशन चल रहा है और मुझे भी देना चाहिए। इस ऑडिशन के लिए मेरा मन बिल्कुल भी नहीं था। फिर सोचा कि एक लास्ट चांस ले ही लेती हूं। मैं वापस मुंबई आई और ऑडिशन दिया। किस्मत से मेरा सिलेक्शन हो गया और इसी के बाद मैं ऑन-स्क्रीन कुमकुम के नाम से फेमस हो गई।'

2009 में लव मैरिज की, 9 साल बाद टूटा रिश्ता

जूही ने 2009 में एक्टर सचिन श्रॉफ के साथ शादी की थी। कुछ समय तक डेट करने के बाद दोनों ने लव मैरिज की थी। शादी के 4 साल बाद जूही ने बेटी समायरा को जन्म दिया था। अब तक उनकी लाइफ में सब सही चल रहा था, लेकिन इसके बाद जूही और सचिन के बीच चीजें बिगड़ने लगीं। नतीजतन, 2018 में दोनों ने तलाक ले लिया। तलाक के बाद जूही अकेले ही बेटी की परवरिश कर रही हैं।

इस बारे में उन्होंने कहा, 'सच कहूं तो मैंने शुरुआत से ही सिंगल पेरेंटिंग की है। जब से समायरा पैदा हुई, तब से मैंने ही उसकी जरूरतों का ध्यान रखा है। फिर जब हमारा तलाक हुआ तब लीगल तौर पर सारी जिम्मेदारियां मेरे कंधों पर आ गईं। काम करने के साथ समायरा की देखभाल करना बहुत मुश्किल था, लेकिन मैंने किया। इस बुरे वक्त में सबसे ज्यादा पेरेंट्स ने मुझे सपोर्ट किया।

समायरा अभी 11 साल की है, लेकिन उसे सारी चीजें पता हैं। उसे पता है कि मैं ही उसकी मां-पापा हूं। हालांकि हम दोनों को किसी की जरूरत नहीं है। हम एक-दूसरे के लिए पर्याप्त हैं।'

होली पर मरते-मरते बची थीं जूही

जूही की लाइफ में एक वक्त ऐसा आया था, जब वे मरते-मरते बची थीं। इस घटना के बारे में उन्होंने बताया, '2019 की होली की रात मेरे लिए बहुत डरावनी थी। इस दिन मैं अपनी दोस्त आशका गोराडिया के घर पर थी। होली की पार्टी चल रही थी, सभी खा-पी रहे थे। मैं भी खा रही थी, तभी खाना अटक गया। हालत इतनी खराब हो गई कि मैं सांस तक नहीं ले पा रही थी। लग रहा था कि मैं अगले 5 मिनट भी जिंदा नहीं रह पाऊंगी।

मेरी हालत देख आशका मुझे अस्पताल ले गई। इस वक्त समायरा के अलावा कुछ सूझ नहीं रहा था। पूरी जिंदगी के किस्से आंखों के सामने तैरने लगे। भगवान से मिन्नतें करने लगी कि सिर्फ बेटी के लिए मुझे मौत ना दें। मुझे उसके लिए जीने दें। मैंने अपनी दोस्त को कहा कि मेरी बेटी समायरा का ख्याल रखना। हालांकि कुछ समय के इलाज के बाद मेरी सेहत में सुधार आया। इस घटना के बाद तो मेरा पुनर्जन्म ही हुआ है।'