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देर रात रील्स स्क्रॉलिंग बढ़ा सकती है परेशानी: नींद पूरी न होने से परफॉर्मेंस पर पड़ता असर

 

sleep: नींद आ भी रही है कि लेकिन स्क्रॉलिंग जारी है। कितनी भी झपकियां और उबासियां आएं, लेकिन नींद को दरकिनार कर हम फोन चलाए जा रहे हैं। मनोविज्ञान की भाषा में इसे रिवेंज बेड-टाइम प्रोक्रैस्टिनेशनकहते हैं। दिन भर व्यस्त रहने वाले लोगों के लिए यह कुछ घंटे एंटरटेनमेंट खोजने का एक तरीका हो सकता है। लेकिन आपके स्वास्थ्य पर इसका बहुत नकारात्मक असर पड़ता है।

इसका सीधा असर परफॉर्मेंस पर पड़ेगा।

जब आप देर रात तक जागकर सुबह जल्दी उठेंगे और काम पर जाएंगे तो इसका सीधा असर परफॉर्मेंस पर पड़ेगा। नींद के दौरान हमारे शरीर के ज्यादातर बॉडी ऑर्गन्स आराम करते हैं। नींद में शरीर खुद को तरोताजा करता है और इम्यूनिटी बढ़ाता है। यानी नींद में हमारा शरीर बाइक और कार की तरह सर्विसिंग प्रोसेस से गुजरता है। कम नींद का मतलब है बॉडी को रिकवरी का टाइम न मिलना।

नींद की कमी से किस तरह की परेशानियां हो सकती हैं?

रिवेंज बेडटाइम प्रोक्रैस्टिनेशन का मतलब है, जब दिन भर के काम से थकने के बाद भी कोई सोने बजाय बिस्तर पर फोन चलाना पसंद करता है। यह फोन के सहारे नींद और थकान को टालने जैसा है। लोग सोचते हैं कि दिन भर की व्यस्तता के बाद वे कुछ घंटे खुद को दे रहे हैं। लेकिन खुद को समय देने का यह तरीका बिल्कुल गलत है क्योंकि हम खुद को समय देने की बजाय अपनी नींद के समय में कटौती कर रहे हैं। अपना स्लीप साइकल डिस्टर्ब कर रहे हैं, जिसका हमारे डेली रुटीन और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।

नींद की कमी से किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं?

नींद की कमी के कारण कई तरह के नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। अगर रात में नियमित अच्छी और पर्याप्त नींद न मिले तो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा कई गुना बढ़ सकता है। अपर्याप्त नींद की वजह से तनाव बढ़ता है, हार्ट डिजीज या इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। साथ ही जब शरीर को पर्याप्त आराम नहीं मिलता तो इससे हमारे व्यवहार में भी नकारात्मक बदलाव देखने को मिलता है।

रिवेंज बेडटाइम प्रोक्रैस्टिनेशन से सबसे अधिक कौन प्रभावित होता है?

यह हम सभी की डेली लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है, लेकिन ज्यादा तनाव वाली नौकरी करने वाले लोग या वर्क-लाइफ के बीच संतुलन न रखने वाले लोग रिवेंज बेडटाइम प्रोक्रैस्टिनेशन से ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। साथ ही जिन लोगों को अनिद्रा जैसी समस्या है या जो रात में घंटों जागते हैं, वे भी रिवेंज बेडटाइम प्रोक्रैस्टिनेशन के शिकार हो सकते हैं। 2019 में फिलिप्स ग्लोबल स्लीप द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक दुनिया भर के 62% एडल्ट्स को लगता है कि वह पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं। सप्ताह भर में औसतन उन्हें 6.8 घंटे ही नींद आती है, जबकि हर एडल्ट को 8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए।