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 हेल्दी वेल्दी टिप्स: वाइट चावल की जगह ब्राउन राइस खाएंगे तो रहेंगे स्वस्थ, जानें फायदें

 
Brown rice:अपनी डाइट पर ज्यादा ध्यान देने वाले लोग वाइट चावल की जगह पर ब्राउन चावल ज्यादा पसंद करते है। लेकिन क्या वाकई ब्राउन राइस सेहत के लिए अच्छे होते है। अब जरा ये भी समझते है।

सेहत भी बिगाड़ सकता है ब्राउन राइस

ब्राउन राउस में व्हाइट राइस के मुकाबले कहीं ज्यादा विटामिन और मिनरल्स होते हैं। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी व्हाइट राइस से काफी कम होता है। हालांकि एक तर्क यह भी है कि ब्राउन राइस में मौजूद ढेर सारा आर्सेनिक सेहत बिगाड़ सकता है।

ब्राउन राइस में होल ग्रेन होता है यानी संपूर्ण अनाज

ब्राउन राइस में सभी गुण होते हैं, जो अनाज में होने चाहिए। इसमें फाइब्रस चोकर, पौष्टिक जर्म्स यानी माइक्रोब्स और कॉम्प्लेक्स कार्ब सबकुछ होता है। इसकी बाहरी परत चोकर के चलते थोड़ी कठोर होती है। इसलिए इसे पकाने और खाने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है।

व्हाइट राइस

ब्राउन राइस को प्रोसेस कर दिया जाए तो यह व्हाइट राइस बन जाता है। इसे ऐसे समझिए कि जब ब्राउन राइस के ऊपर की परत को हटा दिया जाता है तो यही व्हाइट राइस बन जाता है। चूंकि किसी अनाज का चोकर (बाहरी मोटी पर्त) और उसमें मौजूद प्राकृतिक पौष्टिक जर्म्स (माइक्रोब्स) ही उसे होल ग्रेन बनाते हैं, इसलिए उसे प्रॉसेस करने और बाहरी परत हटाने के बाद जो बचता है, वह उतना पौष्टिक नहीं रह जाता। यही कारण है कि ब्राउन राइस में व्हाइट राइस के मुकाबले ज्यादा पोषक तत्व होते हैं। प्रॉसेस्ड होने की वजह से ही व्हाइट राइस जल्दी पक जाता है और खाने में भी काफी नर्म होता है।

व्हाइट राइस के मुकाबले ब्राउन राइस में हैं ज्यादा पोषक तत्व

जब न्यूट्रीशन वैल्यू की बात आती है तो ब्राउन राइस ही आगे निकल जाता है, क्योंकि इसमें ज्यादा फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। इसमें विटामिन और मिनरल्स भी ज्यादा होते हैं। आइए नीचे दिए ग्राफिक के जरिए इन दोनों के पोषक तत्वों को तुलनात्मक ढंग से समझते हैं।

ब्राउन राइस खाने के फायदे

अगर आप अपनी सेहत को लेकर सचेत और जागरूक हैं तो आपको अपने भोजन का चुनाव सोच-समझकर करना चाहिए। इसका मतलब ये भी है कि प्रॉसेस्ड और पॉलिश्ड व्हाइट राइस से बेहतर है अनप्रॉसेस्ड और अनपॉलिश्ड ब्राउन राइस।

ब्राउन राइस में मैग्नीशियम और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। फाइबर हमारे गट माइक्रोबायोम्स के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए ब्राउन राइस ज्यादा आसानी से पचता है।

अगर ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) और ग्लाइसेमिक लोड की बात करें तो ब्राउन राइस में यह व्हाइट राइस के मुकाबले काफी कम होता है। व्हाइट राइस का GI 89 है, जबकि ब्राउन राइस का 50। इसलिए ब्राउन राइस से ब्लड शुगर लेवल अपेक्षाकृत कम और धीमी गति से बढ़ता है।

व्हाइट राइस में रिफाइंड कार्ब्स और ब्राउन राइस में कॉम्प्लेक्स कार्ब्स की मात्रा ज्यादा होती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक रिसर्च के मुताबिक अगर आप प्रतिदिन ब्राउन राइस खा रहे हैं तो आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहेगा। साथ ही, टाइप-2 डायबिटीज का रिस्क भी कम होगा। रिसर्च कहती है कि व्हाइट राइस ब्लड शुगर लेवल को ज्यादा बढ़ाता है और इसके लिए जिम्मेदार है इसमें मौजूद रिफाइंड कार्ब्स।