क्या कभी आपने भी की है किसी की तारीफ? जानें कैसे कॉम्प्लिमेंट से बेहतर होते हैं रिश्तें
Compliment: ‘कॉम्प्लिमेंट’ यानी किसी की प्रशंसा। तारीफ का एक छोटा सा शब्द कितना जादुई हो सकता है। निजी जिंदगी से लेकर प्रोफेशनल लाइफ तक में दूसरों की तारीफ करने और उन्हें कॉम्प्लिमेंट देने के कितने बड़े और सकारात्मक नतीजे हो सकते हैं। आज रिसर्च और एक्सपर्ट की मदद से कुछ ऐसे टिप्स जानेंगे, जिसमें प्यार और सम्मान भरे बोल के सहारे बड़ी-से-बड़ी मुश्किल को आसान किया जा सकता है।
आपसी रिश्तों को मजबूत करते छोटे-छोटे कॉम्प्लिमेंट्स
घर हो या दफ्तर, दोस्ती हो या रोमांटिक रिश्ते, सबकी इच्छा होती है कि रिश्ता मजबूत और गहरा हो। दोस्त वक्त पर काम आएं, घर वाले मन की बातें समझें, दफ्तर में फ्रेंडली माहौल हो और रोमांटिक पार्टनर टूटकर प्यार करे। जाहिर सी बात है कि इसके लिए कोई एक फॉर्मूला नहीं बताया जा सकता है। हां, प्यार के बदले प्यार मिलेगा, इसकी पूरी संभावना होती है।
हालांकि अमेरिका की केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर डॉ. एंथोनी जैक प्यार पाने और इंटरपर्सनल रिश्तों को मजबूत करने का एक आसान रास्ता बताते हैं। डॉ. एंथोनी अपनी रिसर्च ‘साइंस ऑफ हैप्पीनेस’ में दूसरों की तारीफ को अपनी खुशियों के लिए जिम्मेदार बताते हैं।
तारीफ करने वाला तारीफ पाने वाले से ज्यादा खुश
मान लीजिए, आप किसी दफ्तर में काम करते हैं। किसी रोज सुबह ऑफिस जाते ही कलीग की शर्ट, काम या किसी आदत की तारीफ कर दें तो इस बात की पूरी संभवना होगी कि उसका दिन बन जाएगा। लेकिन ज्यादा खुशी उस शख्स को मिलेगी, जिसने तारीफ की है। यहां इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि डॉ. एंथोनी अपनी ओर से की गई दूसरों की तारीफ की बात कर रहे हैं। दूसरे लोग अगर हमारी तारीफ करें तो उसका भी पॉजिटिव असर हो सकता है। लेकिन असल फायदा तारीफ करने वाले को ही होगा।
कॉम्प्लिमेंट का विज्ञान
जैसाकि डॉ. एंथनी कहते हैं कि किसी की तारीफ करने से तारीफ करने वाले को ज्यादा खुशी मिलती है। दरअसल जब हम किसी से यह कह रहे होते हैं कि उसकी ड्रेस सुंदर है, उसकी आंखें सुंदर हैं, उसने बहुत अच्छा आर्टिकल लिखा या बहुत अच्छा प्रेजेंटेशन दिया तो हमारे शरीर में फिजियोलॉजिकली होता क्या है।
न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. डैनियल एमिन इस गुत्थी को कुछ इस तरह सुलझाते हैं। किसी की तारीफ करने का अर्थ है उस व्यक्ति को यह एहसास दिलाना कि लोग उस पर ध्यान देते हैं, उसकी परवाह करते हैं, उसके अच्छे-बुरे को रिकग्नाइज करते हैं। मनोविज्ञान में एक टर्म है ‘बीइंग सीन।’ जिसका अर्थ है कि आप दूसरे की नजर में हैं। यह हमारी मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने में जादू की तरह काम करता है। और यह जादू उन दोनों व्यक्तियों के एमिग्डला (ब्रेन का इमोशनल सेंटर) में हो रहा होता है, जो तारीफ कर रहा है और जिसकी तारीफ की जा रही है। यहां जिसे देखा जा रहा है और जो देख रहा है, दोनों ही बराबर महत्वपूर्ण हैं।
अगर आप ऐसा नहीं करते तो यह प्रैक्टिस कुछ रोज करके देखिए। अगले 10 दिनों तक आसपास जो भी सुंदर दिखे, अच्छा लगे, उसे एक बार कॉम्प्लिमेंट जरूर दीजिए। घर के लोगों से लेकर दफ्तर के सहकर्मियों और यहां तक कि सड़क, बाजार, दुकान और कैब में मिले रैंडम लोगों तक।