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 क्या आप भी वजन घटाने के लिए करते हैं दवा का इस्तेमाल? जानें वेट लॉस दवाओं का प्रभाव

 
Weight loss: दवाएं खाकर वजन कम करना कितना सही है? क्या यह हमारी सेहत के लिए अच्छा है? ऐसे कई सवाल है, जिनका जवाब जानना जरूरी है, खासकर उन लोगों को जो वेट लॉस के शॉर्टकट उपाय की तलाश में रहते हैं।

किस तरह काम करती हैं वेट लॉस दवाएं?

दिल्ली के सीनियर फिजिशियन बॉबी दीवान बताते हैं कि वेट लॉस की दवाएं हमें भूख का अहसास कराने वाले हॉर्मोन्स को संतुलित करती हैं। इसके अलावा यह हमारे मेटाबॉलिक रेट को धीमा करके डाइजेशन को भी स्लो कर देती हैं। चूंकि हमारे पेट में गया भोजन ही देर से पचेगा तो हमें भूख नहीं लगेगी और दोबारा भोजन करने की इच्छा नहीं होगी। इसके अलावा ये दवाएं हमारे पैंक्रियाज को ज्यादा इंसुलिन बनाने में मदद करती हैं, जिससे ब्लड शुगर लेवल कम हो जाता है।

डेनमार्क की फार्मा कंपनी नोवो नॉर्डिस्क (Novo Nordisk) ओजेम्पिक और वेगोवी नाम की दवाएं बनाती है। जबकि मौन्जारो अमेरिकी कंपनी एली लिली एंड कंपनी (Eli Lilly and Company) बनाती है। ये तीनों काफी पॉपुलर वेट लॉस ड्रग हैं।

क्या भारत में भी मिलती हैं ये दवाएं?

भारत में ओजेम्पिक, मौन्जारो जैसे इंजेक्शन की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। भारत में सेमाग्लुटाइड ड्रग से ही बनी कई टेबलेट्स उपलब्ध हैं। इन दवाओं को भारतीय दवा कंपनियां भी बनाकर बेच रही हैं। हालांकि ये दवाएं ओवर द काउंटर नहीं मिलती हैं यानी आप इन्हें मेडिकल स्टोर जाकर डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बगैर नहीं खरीद सकते हैं। ओजेम्पिक, वेगोवी जैसी विदेशी दवाओं का ग्रे मार्केट भी है, जिन्हें अमीर लोग अधिक पैसे देकर खरीद रहे हैं।

इन दवाओं से किस तरह के नुकसान हो सकते हैं?

मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में बेरिआट्रिक सर्जन डॉ. मनोज जैन कहते हैं कि इन दवाओं से सीधे तौर पर कोई नुकसान नहीं है। नहीं तो अमेरिका जैसे देश में इतने बड़े स्तर पर इनका इस्तेमाल नहीं हो रहा होता। भारत में भी इन दवाओं की पसंदगी और मांग बढ़ रही है। जल्द ही यहां भी इनका बड़ा बाजार देखने को मिलेगा। लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि इन दवाओं को बनाने के लिए इस्तेमाल हुए केमिकल कंपाउंड सेमीग्लुटाइड का प्राइमरी फंक्शन टाइप-2 डायबिटीज का इलाज है।