{"vars":{"id": "108013:4658"}}

Haryana में दो पूर्व मंत्री चुनाव लड़ने से क्यूं कर रहे है इनकार ? जानिए वजह

 

Yuva Haryana: हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावी सरगर्मियां तेज है। सभी पार्टियां और चुनाव लड़ने वाले इच्छुक नेता जहां चुनाव की तैयारी में जुटे हुए है तो इस बीच दो बड़े नेता चुनाव न लड़ने का ऐलान कर चुके है। 

“मैं नहीं, मेरा बेटा लड़ेगा चुनाव”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने बड़ी घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। बीरेंद्र ने अपने बेटे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह के लिए टिकट की दावेदारी कांग्रेस के सामने पेश की है।

हरियाणा की राजनीति के ‘ट्रेजेडी किंग’ बीरेंद्र सिंह ने कहा कि इस बार वे खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन उनके बेटे बृजेंद्र ने उचाना सीट से चुनाव लड़ने के लिए अपनी उम्मीदवारी पेश की है। उन्होंने यह भी कहा कि उचाना से वे पांच बार और उनकी पत्नी एक बार विधायक रही है।

बीरेंद्र सिंह ने कहा कि उचाना से उनके बेटे बृजेंद्र उपयुक्त उम्मीदवार है। उन्होंने कहा कि राजनीति में नए लोगों को आना चाहिए क्योंकि नए लोगों की सोच उनसे बेहतर होती है।

बीरेंद्र की कांग्रेस को सलाह
इतना ही नहीं, बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस को सलाह देते हुए कहा कि अच्छे उम्मीदवार उतारने के लिए हरियाणा में कांग्रेस को ये आंकलन करना चाहिए कि कांग्रेस कौन सी सीटों पर मजबूत है।

बीरेंद्र सिंह ने कहा कि 90 सीटों में से जितनी मजबूत सीटें है, उनपर कांग्रेस को मजबूत उम्मीदवार उतारने चाहिए। साथ ही ये सर्वे भी होना चाहिए कि कौनसी सीटों पर कांग्रेस कमजोर हैं।

पूर्व सहकारिता मंत्री का भी चुनाव लड़ने से मना
हरियाणा के पूर्व सहकारिता मंत्री एवं बीजेपी नेता मनीष ग्रोवर ने भी विधानसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है। कुछ दिन पहले मनीष ग्रोवर ने चुनाव न लड़ने की घोषणा करते हुए कहा कि उनकी व्यक्तिगत इच्छा है कि वे पूरे प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे सांसद दीपेंद्र हुड्डा के पीछे-पीछे जाकर उनकी पोल खोलें। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता को बताऊंगा कि 10 साल के राज में हुड्डा ने प्रदेश के लिए कुछ नहीं किया।


ग्रोवर ने कहा कि डॉक्टर मंगलसेन उनको साल 1987 में राजनीति में लेकर आए थे। इसके बाद वे दो बार पार्षद बने। साथ ही पार्टी ने पांच बार रोहतक से विधानसभा चुनाव लड़वाया। वर्ष 2014 में चुनाव जीतकर वे प्रदेश में सहकारिता मंत्री बने थे। 

पूर्व मंत्री ने कहा कि अब वे भाजपा संगठन के लिए काम करना चाहते है इसलिए वे खुद और उनके परिवार से कोई चुनाव नहीं लड़ेगा। उन्होंने कहा कि रोहतक से पार्टी जिसे भी टिकट देगी, उसके लिए काम करेंगे।