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 सोनीपत: 116 साल की भगवानी देवी डालेंगी वोट, बूथ पर जाकर मतदान करने की जताई इच्छा

 
Old lady voter: उम्रदराज मतदाताओं में से एक भगवानी देवी हरियाणा में सोनीपत के गांव जागसी की रहने वाली हैं। 116 साल की उम्र में वह 25 मई को मतदान केंद्र पर जाकर वोट डालेंगी। इसमें उनकी 90 वर्षीय बहन भतेरी देवी सारथी की भूमिका निभाएंगी। हालांकि, निर्वाचन आयोग ने बुजुर्गों के लिए घर से मतदान की व्यवस्था की है, लेकिन इन दोनों बहनों का कहना है कि वे तो मतदान केंद्र में जाकर ही पसंदीदा कैंडिडेट को वोट करेंगी। भगवानी संयुक्त परिवार में रहती हैं। चुनाव आयोग के डाटा के अनुसार, भगवानी देश की सबसे ज्यादा उम्र की मतदाताओं में से हैं। उनका गांव गोहाना विधानसभा क्षेत्र में आता है। यह एक मिशाल है कि 116 साल की बुजुर्ग महिला इस बार लोकसभा चुनाव में वोट डालेगी।

साथ रहती हैं दो बहनें

भगवानी (116) और भतेरी देवी (90) दो सगी बहनें हैं। दोनों की शादी गांव जागसी में हुई थी। दोनों संयुक्त परिवार में एक साथ रहती हैं। दोनों की शादी एक ही व्यक्ति रामदिया के साथ हुई है। दोनों का एक दूसरे के प्रति प्यार एक मिसाल बना हुआ है। प्रदेश में लोकसभा या विधानसभा के जितने भी चुनाव हुए हैं, भगवानी देवी उनकी साक्षी हैं और हर चुनाव में वह वोट डालने गई हैं।

पति की हो चुकी मौत, नहीं है कोई संतान

भगवानी के पति रामदिया की मौत हो चुकी है। भगवानी के काेई संतान नहीं है। संतान न होने पर इनकी छोटी बहन भतेरी की शादी भी रामदिया के साथ हुई थी। भतेरी के 6 संतान हुईं। इसमें सबसे बड़े बेटे कृष्ण की उम्र फिलहाल 67 साल है और सबसे छोटी बेटी सरोज 50 साल की है। भगवानी ने अपनी सारी जायदाद अपनी बहन भतेरी के बच्चों के नाम की हुई है।

देखने-सुनने में दिक्कत

देश की सबसे उम्रदराज महिला भगवानी देवी का स्वास्थ्य ठीक है। वह खाने-पीने के प्रति सजग है। हालांकि, वह लाठी का सहारा लेकर चलती हैं। फिलहाल, भगवानी को सुनने और देखने में दिक्कत है। ऐसे में उसकी बहन भतेरी उनकी मदद करती हैं। भतेरी ही भगवानी के साथी की जिम्मेदारी निभा रही हैं।

बूथ पर जाकर देंगी वोट

भतेरी ने कहा कि वह और उनकी बहन चलने-फिरने में सक्षम हैं। उनका वोटर ID कार्ड भी बना हुआ है। वे हर चुनाव में वोट डालने जाती हैं। इस बार भी अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगी। इसके लिए वे परिवार की सलाह लेंगी कि वोट देना किसे है।

भतेरी ने कहा कि वोट घर से नहीं, बल्कि अपने परिवार के संग गांव के बूथ पर जाकर डालेंगी। वे याद करती हैं कि कुछ साल पहले कागज पर मुहर लगाकर वोट डालती थीं। अब वे मशीन का बटन दबाती हैं।

दादी का व्यवहार बच्चे की तरह

पोता अनिल बताता है कि भगवानी और भतेरी उनकी दादी हैं। दोनों ने पूरे परिवार को एक सूत्र में पिरोकर रखा है। उसने बताया कि दादी प्रत्येक चुनाव में वोट डालने जाती हैं। सबको एक मैसेज देती हैं कि वोट सभी को डालना चाहिए। इन दिनों भगवानी दादी को दिखाई नहीं देता। सुनाई भी कम देता है। दादी दिन भर भगवान का नाम लेती हैं और उनका व्यवहार एक बच्चे की तरह हो चला है। पोते के बच्चों से दादी को बेहद लगाव है।

दादी सुनाती है बचपन के किस्से

भगवानी देवी की पोतियां विनीता और उमंग अपनी दोनों दादियों के बारे में बताती हैं कि दादी उन्हें बहुत सारी कहानियां सुनाती हैं। उनके बचपन के किस्से सुनकर बहुत आनंद आता है और हंस कर वे लोटपोट हो जाती हैं। पोती ने बताया कि दादी से जब भी बात करते हैं तो उनके कानों के पास जाकर तेज बोलना पड़ता है। तब एक-दूसरे से बातचीत कर पाते हैं।