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NEET UG विवाद जारी, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और संसद में ‘संग्राम’ 

 

Yuva Haryana नीट यूजी (NEET UG) परीक्षा 2024 पर विवाद जारी है। सड़क से लेकर संसद तक यह मामला गर्माया हुआ है और इस परीक्षा की चर्चा हो रही है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई जारी है।

संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत में एक बार फिर से नीट पेपर लीक के मुद्दे पर हंगामा हुआ है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सपा सांसद अखिलेश यादव ने नीट पेपर लीक के मुद्दे पर सरकार को घेरा है। वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी जवाब दिया है।

नीट यूजी विवाद पर नेताओं की बहस
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि देश की परीक्षा प्रणाली में एक बहुत गंभीर समस्या है और शिक्षा मंत्री ने इसके लिए खुद को छोड़कर सभी को दोषी ठहराया है। उन्होंने आगे केंद्र सरकार से सवाल करते हुए कहा कि नीट एक व्यवस्थित मुद्दा है, सरकार इसे ठीक करने के लिए क्या कर रही हैं ? 

समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने भी नीट के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार पेपर लीक का रिकॉर्ड बनाएगी। अखिलेश ने कहा कि कुछ केंद्रों पर दो हजार से ज्यादा छात्र पास हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान हैं, तब तक छात्रों को न्याय नहीं मिलेगा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राहुल और अखिलेश के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी और उनका गुट घड़ियाली आंसू बहा रहे है। उन्होंने कहा कि पूर्व यूपीए सरकार और यूपी में अखिलेश यादव की सरकार के दौरान के पेपर लीक से जुड़ी जमीनी हकीकत दोनों की मुश्किलें बढ़ा देगी।

शिक्षा मंत्री ने यह भी सवाल किया कि नेता प्रतिपक्ष बताएं कि कांग्रेस पार्टी ने किस मजबूरी, दबाव और किन कारणों से अनियमितताओं पर अंकुश लगाने के लिए कानून लाने से इनकार कर दिया? केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने दावा किया कि पिछले सात सालों में पेपर लीक का कोई सबूत नहीं मिला है। 

आज सुप्रीम कोर्ट में यह हुई सुनवाई 

नीट यूजी मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी हुई। इस दौरान सीजेआई ने कहा कि एक लाख आठ हज़ार सीटो के लिए 23 लाख से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा दी। इनमें 52 हजार प्राइवेट कॉलेजों और 56हजार सरकारी कॉलेज में सीट है। उन्होंने कहा कि परीक्षा में 180 प्रश्न होते है और जिनके कुल अंक 720 होते हैं। 

सीजेआई ने कहा कि दो प्रमुख आरोप हैं, जिनमें कागजातों का लीक होना और व्यवस्थागत विफलता है। याचिकाकर्ताओं ने सिस्टेमेटिक विफलता का सवाल उठाकर दोबारा परीक्षा की मांग की है। कई राज्यों में इसको लेकर मामले भी दर्ज हुई है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।