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 करनाल के पूर्व डिप्टी मेयर मनोज वधवा ने BJP को कहा अलविदा, कांग्रेस ज्वाइन करने की चर्चाएं

 

Manoj vadhwa: लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं का पार्टियां बदलने का सिलसिला जारी है। अब करनाल के भाजपा नेता मनोज वधवा ने पार्टी को अलविदा कह दिया है।

करनाल में पंजाबी चेहरा हैं वधवा

मनोज वधवा एक प्रबल पंजाबी चेहरा है। 2019 के मेयर चुनावों में मनोज वधवा की पत्नी आशा वधवा ने आजाद उम्मीदवार के तौर पर इलैक्शन लड़ा था जिसमें उनको करीब 60 हजार वोट मिली थी। भाजपा की प्रत्याशी रेनू बाला गुप्ता करीब 8 हजार वोटों से ही जीत पाई थी। इतना ही नहीं मेयर चुनावों में मनोज वधवा को सभी पार्टियों का समर्थन भी प्राप्त था। इनेलो में रहते हुए मनोज वधवा खुद भी डिप्टी मेयर रह चुके है और पूर्व CM मनोहर लाल के खिलाफ INLD से चुनाव भी लड़ चुके है। मेयर का चुनाव हारने बाद अक्टूबर 2019 में ही उन्होंने पूर्व CM मनोहर लाल की अगुआई में भाजपा का दामन थामा था।

मनोज वधवा ने अपने पत्ते नहीं खोले है

मनोज वधवा ने अपने पत्ते नहीं खोले है किस पार्टी में जाएंगे। चर्चाएं यह है कि अगर वे कांग्रेस का हाथ पकड़ लेते है और कांग्रेस उन्हें उपचुनाव में प्रत्याशी बनाकर सीएम नायब सिंह सैनी के सामने खड़ा कर देती है तो नायब सैनी के लिए एक बड़ी चनौती खड़ी हो सकती है। हालांकि अभी तक मनोज वधवा की तरफ से यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि वे किस पार्टी का हाथ थामेंगे, लेकिन उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत में यह बात जरूर कही है कि वे पहले अपने भाईचारे से बात करेंगे और मंथन करेंगे कि किस पार्टी में जाना चाहिए।

कौन है मनोज वधवा?

मेयर चुनावों में मनोज वधवा एक बड़ा पंजाबी चेहरा रहे है। उन्होंने पहले भी चुनाव लड़े है और अपने प्रतिद्वदियों को कड़ी टक्कर दी है। वर्ष 2014 में मनोज वधवा वह INLD की तरफ से पूर्व सीएम मनोहर लाल के खिलाफ चुनाव लड़ चुके है।

इतना ही नहीं वर्ष 2018 में मनोज वधवा ने अपनी पत्नी आशा वधवा को मेयर प्रत्याशी के रूप में उतारा था। पहले वह डिप्टी मेयर रह चुके है। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि मनोज वधवा बीजेपी में रहते हुए मेयर चुनावों की तैयारी कर रहे थे। लेकिन अब अचानक पार्टी छोड़ने के बाद उन्होंने करनाल की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।

4 जनवरी को पड़ा था ईडी का छापा

करनाल में भाजपा नेता एवं मेयर प्रत्याशियों में प्रबल दावेदार मनोज वधवा के घर पर बीती 4 जनवरी को ईडी की रेड पड़ी थी। ईडी के रेड के दौरान न तो किसी की घर में एंट्री हो रही थी और न ही कोई घर का सदस्य बाहर आ पा रहा था।

घर के अंदर दस्तावेजों और रिकॉर्ड व अन्य स्थानों को खंगाला गया था और वधवा से पूछताछ भी की गई थी। बता दे कि मनोज वधवा एक माइनिंग कारोबारी भी हैं और यमुनानगर में माइनिंग का काम करते हैं। हालांकि रेड करने वाले अधिकारियों की तरफ से कोई भी जानकारी साझा नहीं की गई थी।

कांग्रेस में जाने की चर्चाओं ने पकड़ा जोर

कयास लगाए जा रहे कि मनोज वधवा कांग्रेस में जा सकते है। अगर वधवा ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया तो माना जा रहा है कि कांग्रेस मनोज वधवा को करनाल विधानसभा उपचुनाव में सीएम नायब सिंह सैनी के सामने खड़ा कर सकती है।

मनोज वधवा हमेशा से ही लोगों की रग समझने में माहिर रहे है और मेयर चुनावों का एक बड़ा चेहरा भी रहे है। अगर मनोज वधवा सीएम नायब सैनी के सामने उपचुनाव में प्रत्याशी के तौर पर खड़े होते है तो कहीं न कहीं नायब सैनी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है।