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चौधरी बीरेंद्र सिंह की फिर से घर वापसी!:10 साल बाद फिर से थाम सकते हैं कांग्रेस का हाथ

 

Birendra singh:हरियाणा की राजनीति में ट्रेजेडी किंग कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र की फिर से घर वापसी हो सकती है। खबर है कि कल यानी की 9 अप्रैल को पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह फिर से कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं।

2014 में थामा था बीजेपी का दामन

जींद की उचाना सीट से 5 बार विधायक और दो बार राज्यसभा और एक बार लोकसभा सांसद रह चुके बीरेंद्र सिंह 43 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद 2014 को लोकसभा चुनाव के बाद BJP में शामिल हो गए थे। कांग्रेस छोड़ने के पीछे की वजह उनके पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के साथ मतभेद रहे, लेकिन अब हुड्‌डा और बीरेंद्र सिंह फिर से एक-दूसरे के काफी करीब हो गए हैं।

CM बनने का सपना नहीं हुआ पूरा

चौधरी बीरेंद्र सिंह ने अपना पहला चुनाव उचाना से 1977 में लड़ा और वह बड़े मार्जिन से जीत हासिल करते हुए MLA बने। इसके बाद 1982 में फिर से वह उचाना से ही विधायक चुने गए। हालांकि बीरेंद्र सिंह चर्चा में उस वक्त आए जब उन्होंने हिसार लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को बड़े मार्जिन से हरा दिया था। ये ही वो वक्त था जब बीरेंद्र सिंह जींद से बाहर निकलकर हिसार तक अपनी छाप छोड़ चुके थे।

पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा से मतभेद के किस्से

इसके बाद बीरेंद्र सिंह 1991 में फिर से उचाना से विधायक बने और लगातार 2009 तक इस सीट पर विधायक रहे। हालांकि बीरेंद्र सिंह का सीएम बनने का सपना था, जो पूरा नहीं हो पाया। कभी CM नहीं बन पाने की टीस उन्हें हमेशा से रही। वह खुद अनेक बार अलग-अलग मंचों से इसका जिक्र भी करते रहे।

2009 में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा से मतभेद के चले वे केंद्र की राजनीति में चले गए। 2010 में कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा का सांसद बनाया, लेकिन केंद्र में मंत्री बनते-बनते रह गए। हालांकि कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा सांसद बनाने के बाद कई अहम राज्यों का प्रभारी जरूर बनाया।

10 साल में बीजेपी से मोह भंग

2014 में भारतीय जनता पार्टी की लहर के चलते बीरेंद्र सिंह ने भी कांग्रेस से अपना 43 साल पुराना नाता तोड़ लिया। बीरेंद्र सिंह ने हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले 16 अगस्त 2014 को बीजेपी का दामन थाम लिया। इसके बाद बचे हुए 2 साल के कार्यकाल में वे बीजेपी की तरफ से फिर से राज्यसभा सांसद बने और उनकी पत्नी प्रेमलत्ता ने उचाना सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए दुष्यंत चौटाला को हरा दिया।